टीआरपी रेटिंग में घपला करने और पैसे देकर मनमाफ़िक रेटिंग का जुगाड़ करने के आरोपों के बीच रेटिंग एजेन्सी ब्रॉडकास्ट ऑडियंस रिसर्च कौंसिल (बार्क) ने एक अहम फ़ैसला लिया है। बार्क ने कहा है कि वह अगले 3 महीनों तक टेलीविज़न चैनलों की साप्ताहिक रेटिंग नहीं करेगा ताकि 'रेटिंग के मौजूदा मानकों की समीक्षा की जा सके और उन्हें बेहतर बनाया जा सके।'
इसके तहत सभी अंग्रेजी, हिन्दी, क्षेत्रीय और बिज़नेस चैनलों की रेटिंग 3 महीने तक नहीं की जाएगी।
याद दिला दें कि पिछले हफ़्ते मुंबई पुलिस ने का दावा किया था कि कुछ टीवी चैनल पैसे देकर अपनी टीआरपी बढ़ाया करते थे। इस मामले में रिपब्लिक टीवी पर गंभीर आरोप लगे हैं। दो टीवी चैनलों के मालिकों को पुलिस ने गिरफ्तार भी किया है और रिपब्लिक टीवी की जाँच चल रही है।
ख़ास ख़बरें
घपला?
रिपब्लिक भारत टीवी हैरतअंगेज़ तरीक़े से पिछले छह हफ़्तों से नंबर एक चैनेल बन गया था। तब यह कहा गया कि सुशांत सिंह पर इकतरफ़ा कवरेज से उसे ज़्यादा दर्शकों ने देखा और उसकी लोकप्रियता बढ़ी। अब पुलिस ने रिपब्लिक टीवी समेत तीन टेलीविज़न चैनलों पर टीआरपी की हेराफेरी करने का आरोप लगाते हुए इस मामले की जाँच शुरू कर दी है।मुंबई पुलिस की मानें तो टीआरपी में हेरफेर का यह मामला सिर्फ मुंबई और महाराष्ट्र तक ही सीमित नहीं है और इसकी जड़ें अन्य राज्यों तक भी फैली हुई हैं।
बहरहाल, बार्क ने कहा है कि पूरे मामले की समीक्षा करने में 8 से 12 सप्ताह का समय लग सकता है। यह काम बार्क की टेक्निकल टीम की देखरेख में किया जाएगा। एजेन्सी समाचार व क्षेत्रीय चैनलों के ऑडियंस का सप्ताहवार अनुमान देती रहेगी।
एनबीए ने स्वागत किया
न्यूज़ ब्रॉडकास्टर्स एसोसिएशन ने बार्क के इस फ़ैसले का स्वागत करते हुए कहा, “इस अवधि का इस्तेमाल बार्क में महत्वपूर्ण सुधार के लिए किया जा सकता है।'एनबीए के अध्यक्ष रजत शर्मा ने एनडीटीवी से कहा, “हालिया रहस्योद्घाटन से टीआरपी मापने वाली एजेंसी और ब्रॉडकास्ट न्यूज़ मीडिया की बदनामी हुई है। घालमेल वाले और तेजी से गिरते- उठते आँकड़े भारत क्या देखता है, इसका ग़लत नैरेटिव पेश करते हैं। इससे हमारे सदस्यों पर यह दबाव भी रहा है कि वे ऐसे संपादकीय फ़ैसले लें जो पत्रकारिता के मूल्यों और आदर्शों के ख़िलाफ़ हैं।”
क्या कहना है ब्रॉडकास्टरों का?
प्रसार भारती के पूर्व सीईओ जवाहर सरकार ने एनडीवी से कहा, 'यह अच्छा कदम है। उन्हें यह पहले ही करना चाहिए था। इससे यह पता चल सकेगा कि आंतरिक रोक और संतुलन की प्रक्रिया ठीक है या नहीं।'सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में सीबीआई जाँच की रिपब्लिक टीवी की मांग पर विचार करने से इनकार कर दिया। अदालत ने कहा, “आपने पहले ही इस मामले में हाई कोर्ट में याचिका दायर कर रखी है। आपकी इस याचिका को स्वीकार करने का मतलब है कि हाई कोर्ट पर हमारा विश्वास नहीं है। किसी भी दूसरे नागरिक की तरह आपको भी हाई कोर्ट जाना चाहिए।”
अपनी राय बतायें