अदालत राहुल के वकील अभिषेक मनु सिंघवी के तर्कों से प्रभावित नहीं हुई और उसने मामले में 30 अप्रैल को दुबारा सुनवाई की तारीख़ तय कर दी है। अदालत का डर न तो नरेंद्र मोदी को है और न राहुल गाँधी को! दोनों दो बड़ी पार्टियों के नेता हैं। दोनों के बौद्धिक स्तर में ज़्यादा फर्क नहीं है। यह बात दूसरी है कि मोदी के बोलने में दम-ख़म दिखाई पड़ता है जबकि राहुल का बोलना ऐसा लगता है, जैसे कोई विदेशी लड़का बड़ी मुश्किल से हिंदी या अंग्रेजी में अपनी गाड़ी धका रहा है।
इतना ही नहीं, राहुल ने ऐसी हठधर्मी भी दिखाई कि अदालत के सामने लिखित में ख़ेद प्रकट करने के बाद घंटे भर में ही ‘चौकीदार चोर है’, का नारा अमेठी की सभा में लगवा दिया। फिर यही नारा रायबरेली में भी लगवाया।
ज़ाहिर है कि अदालत या चुनाव आयोग इस नारे के आधार पर राहुल के ख़िलाफ़ कोई कार्रवाई नहीं कर रहे हैं लेकिन राहुल और सोनियाजी क्या भारत के लोगों के मिजाज को जरा भी नहीं समझते हैं?
इस तरह का नारा लगवाते समय आप न मोदी की उम्र का ख़्याल करते हैं, न उनके पद का, जिस पर आपके पिता, दादी और उनके पिता भी रह चुके हैं। यह बचकाना हरकत, पता नहीं किसके इशारे पर की जा रही है?
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