loader
फ़ोटो साभार: ट्विटर/सुमित कुमार

कोरोना: ग़रीबों की मदद के वादे तो ठीक हैं, सही से लागू नहीं हुए तो तबाही आएगी?

भारत जैसे सघन आबादी, ख़राब स्वास्थ्य सुविधा, ख़राब आवासों वाले देश के लिए कोरोना वायरस बहुत ही घातक है। सरकार ने इसे देखते हुए 21 दिन के लॉकडाउन/कर्फ्यू की घोषणा की है, जो कोरोना को फैलने से रोकने में काफ़ी मददगार हो सकती है। ऐसे में कंपनियों के साथ मज़दूर वर्ग और समाज के कमज़ोर तबक़े को इस दौरान आंशिक मदद पहुँचाने की कवायद में केंद्र व राज्य सरकारों ने कई घोषणाएँ की हैं। इनसे राहत मिलने की उम्मीद है। वहीं योजनाओं को लागू करने के स्तर पर ऐसी तमाम छोटी-छोटी गड़बड़ियाँ हो रही हैं, जो ज़िंदा रहने में कठिनाइयाँ पैदा कर रही हैं। आइए, सबसे पहले बात करते हैं सरकार की विभिन्न घोषणाओं की, जो आम जनता व कंपनियों को राहत पहुँचाने के लिए की गई हैं।

सरकार ने दिवालिया होने के कगार पर खड़ी संकटग्रस्त कंपनियों को दिवालिया होने से बचाने के लिए क़र्ज़ लौटाने में चूक की सीमा एक लाख रुपये से बढ़ाकर एक करोड़ रुपये कर दी है। इसके साथ ही इसने कहा है कि संकट लंबा खिंचा तो दिवालिया प्रक्रिया शुरू करने के प्रावधान को छह महीने की अवधि के लिए रोकने पर विचार करेगी। कंपनी ऑडिट रिपोर्ट ऑर्डर 2020 के क्रियान्वयन को एक साल आगे बढ़ा दिया है, अब यह 2020-21 में लागू होगा।  

ताज़ा ख़बरें

विवाद से विश्वास योजना की समय-सीमा बढ़ाकर 30 जून कर दी गई है। टीडीएस जमा करने में देरी पर दंड ब्याज 18 प्रतिशत से घटाकर 9 प्रतिशत कर दिया गया है। 2018-19 के लिए आयकर रिटर्न भरने की अंतिम तारीख़ 30 जून तक के लिए बढ़ा दी गई है। देरी से भुगतान के लिए ब्याज दर 12 प्रतिशत से घटाकर 9 प्रतिशत कर दी गई है।

यह राहत ज़्यादातर कॉर्पोरेट के लिए है। लेकिन स्वाभाविक है कि अगर कंपनियाँ सुरक्षित रहेंगी, तभी उनमें काम करने वालों के हित सुरक्षित रह सकते हैं और इस हिसाब से यह आम नागरिकों को भी राहत देने वाला है।

सरकार ने जनता को सीधे लाभ पहुँचाने की भी कुछ अहम कवायदें की हैं। सरकार ने कंस्ट्रक्शन के क्षेत्र में लगे मज़दूरों के खातों में सीधे धन डालने के आदेश दिए हैं। भवन व अन्य निर्माण कामगारों के कल्याण उपकर कोष में 52,000 करोड़ रुपये राशि है। इस कोष को श्रमिकों के कल्याण के लिए बनाया गया था। निर्माण मज़दूरों से जुड़ी मेडिकल सहायता, पेंशन, मकान बनाने के लिए क़र्ज़, बीमा, उनके बच्चों की शिक्षा, मातृत्व लाभ के अलावा अन्य सुविधाएँ दी जानी थीं। 

यह धन केंद्र व राज्य सरकारों ने ख़र्च नहीं किया है, जिसको लेकर उच्चतम न्यायालय ने सरकारों की खिंचाई भी की थी। अब सरकार ने आदेश दिया है कि राज्य सरकारें निर्माण मज़दूरों को यह धन मुहैया कराएँ। देश में इस समय क़रीब 3.5 करोड़ पंजीकृत निर्माण मज़दूर हैं। सरकार ने यह भी कहा है कि सूची में शामिल न हो सके निर्माण मज़दूरों को भी पंजीकृत कर उन्हें लाभ मुहैया कराए। इस मद से पंजाब सरकार पहले ही हर पंजीकृत निर्माण मज़दूर को 3,000 रुपये देने की घोषणा कर चुकी है। वहीं दिल्ली सरकार ने 5,000 रुपये और हिमाचल प्रदेश सरकार ने इस मद से एकमुश्त 1,000 रुपये सहायता की घोषणा की है। वहीं उत्तर प्रदेश सरकार ने बहुत तेज़ी से क़दम उठाते हुए मंगलवार को 20 लाख से ज़्यादा दिहाड़ी मज़दूरों के खातों में 1,000 रुपये ट्रांसफ़र कर दिए हैं। यूपी ने रेहड़ी, ठेला, खोमचा, रिक्शा, ई-रिक्शा चालक और पल्लेदारों को भी 1,000 रुपये का भरण-पोषण भत्ता देने का फ़ैसला किया है। 

देश की सभी राज्य सरकारें मदद देने वाली योजनाएँ चला रही हैं, जिससे हाशिये पर पड़े समाज को दिक्कत न होने पाए। केंद्र सरकार ने कहा है कि सार्वजनिक वितरण प्रणाली का लाभ पाने वाले 75 करोड़ लोग 6 महीने का राशन एक बार में उठा सकते हैं।

केंद्र सरकार ने कॉर्पोरेट सोशल रिस्पॉन्सिबिलिटी (सीएसआर) का पैसा भी कोरोना के कहर से लोगों को बचाने में लगाने का फ़ैसला किया है। इस मद की राशि वित्त वर्ष के आख़िर यानी 31 मार्च तक ख़र्च करना होता है। कंपनियाँ इस बात से चिंतित थीं कि वह राशि का इस्तेमाल कैसे करें। सरकार ने सीएसआर का धन ख़र्च करने के विभिन्न माध्यमों की व्याख्या करते हुए साफ़ किया है कि कोरोना आपदा घोषित है और कंपनियाँ सीएसआर का धन कोरोना वायरस के इंतज़ाम से लेकर लोगों को किसी भी तरह की मदद पहुँचाने में ख़र्च कर सकती हैं।

चिंताजनक स्थिति

वहीं 21 दिन के लॉकडाउन के पहले दिन से ही तमाम चिंताजनक ख़बरें भी आने लगी हैं। दिल्ली की प्रमुख मंडी में फल और सब्जियाँ बड़ी मात्रा में पहुँच रही हैं। थोक क़ारोबारियों का कहना है कि पुलिस सब्जियों से भरे ट्रक को तो जाने दे रही है, लेकिन खाली ट्रक नहीं चलने दे रही है, जिससे माल फँसा हुआ है। यह स्थिति सिर्फ़ दिल्ली सब्जी मंडी की नहीं है, बल्कि देश भर में 5,00,000 से ज़्यादा ट्रक ड्राइवर और हेल्पर फँस गए हैं। पुसिल उन्हें उनके गंतव्य स्थल पर नहीं जाने दे रही है, भले ही वे रसोई गैस जैसी आवश्यक सेवाएँ मुहैया कराने में क्यों न लगे हुए हों। तमाम इलाक़ों में ट्रक ड्राइवर और हेल्पर 20-20 घंटे से बगैर खाना-पानी के फँसे हुए हैं। इसके अलावा तमाम इलाक़ों में मज़दूर तबक़ा रोज़ खाने पीने की चीजें खरीदता है और खाता है, क्योंकि उसके पास महीने का राशन खरीदने को पैसे नहीं होते। 

विचार से ख़ास
इस तरह के इलाक़ों में सरकार की तरफ़ से लंगर चलाकर घर-घर खाना पहुँचाना या उनके राशन व खाना पकाने की सहायक सामग्रियाँ दरवाज़े तक पहुँचाना ज़रूरी होगा। इसमें देश की त्रिस्तरीय शासन प्रणाली में स्थानीय निकाय से जुड़े अधिकारी व नेता अहम भूमिका निभा सकते हैं। 

कोरोना वायरस को रोकने के लिए लॉकडाउन और नागरिकों की मदद करने की तमाम घोषणाएँ उचित हैं। लेकिन अगर इन्हें प्रभावी तरीक़े से लागू नहीं किया गया तो यह नाकेबंदी तबाही का सबब बन सकती है। देश के तमाम इलाक़ों में लंबे समय तक कर्फ्यू रहा है और वहाँ के नागरिकों ने इसे झेला है। वायरस के कहर के कारण पहली बार देश में एक साथ 21 दिन का कर्फ्यू लगाया गया है। यह अवधि इतनी ज़्यादा है कि अगर सरकार ने छोटी-छोटी बातों पर ध्यान देकर तत्परता से क़दम नहीं उठाए तो यह तबाही का सबब बन सकती है।

सत्य हिन्दी ऐप डाउनलोड करें

गोदी मीडिया और विशाल कारपोरेट मीडिया के मुक़ाबले स्वतंत्र पत्रकारिता का साथ दीजिए और उसकी ताक़त बनिए। 'सत्य हिन्दी' की सदस्यता योजना में आपका आर्थिक योगदान ऐसे नाज़ुक समय में स्वतंत्र पत्रकारिता को बहुत मज़बूती देगा। याद रखिए, लोकतंत्र तभी बचेगा, जब सच बचेगा।

नीचे दी गयी विभिन्न सदस्यता योजनाओं में से अपना चुनाव कीजिए। सभी प्रकार की सदस्यता की अवधि एक वर्ष है। सदस्यता का चुनाव करने से पहले कृपया नीचे दिये गये सदस्यता योजना के विवरण और Membership Rules & NormsCancellation & Refund Policy को ध्यान से पढ़ें। आपका भुगतान प्राप्त होने की GST Invoice और सदस्यता-पत्र हम आपको ईमेल से ही भेजेंगे। कृपया अपना नाम व ईमेल सही तरीक़े से लिखें।
सत्य अनुयायी के रूप में आप पाएंगे:
  1. सदस्यता-पत्र
  2. विशेष न्यूज़लेटर: 'सत्य हिन्दी' की चुनिंदा विशेष कवरेज की जानकारी आपको पहले से मिल जायगी। आपकी ईमेल पर समय-समय पर आपको हमारा विशेष न्यूज़लेटर भेजा जायगा, जिसमें 'सत्य हिन्दी' की विशेष कवरेज की जानकारी आपको दी जायेगी, ताकि हमारी कोई ख़ास पेशकश आपसे छूट न जाय।
  3. 'सत्य हिन्दी' के 3 webinars में भाग लेने का मुफ़्त निमंत्रण। सदस्यता तिथि से 90 दिनों के भीतर आप अपनी पसन्द के किसी 3 webinar में भाग लेने के लिए प्राथमिकता से अपना स्थान आरक्षित करा सकेंगे। 'सत्य हिन्दी' सदस्यों को आवंटन के बाद रिक्त बच गये स्थानों के लिए सामान्य पंजीकरण खोला जायगा। *कृपया ध्यान रखें कि वेबिनार के स्थान सीमित हैं और पंजीकरण के बाद यदि किसी कारण से आप वेबिनार में भाग नहीं ले पाये, तो हम उसके एवज़ में आपको अतिरिक्त अवसर नहीं दे पायेंगे।
प्रीति सिंह

अपनी राय बतायें

विचार से और खबरें

ताज़ा ख़बरें

सर्वाधिक पढ़ी गयी खबरें