loader
फ़ोटो साभार: ट्विटर/एस जयशकर

भारत-नेपाल संबंध फिर साथ; चीन दरकिनार?

इंडियन कौंसिल ऑफ़ वर्ल्ड अफ़ेयर्स में नेपाल के विदेश मंत्री प्रदीप ग्यावली ने कई पत्रकारों के सवालों का जवाब देते हुए इतनी सावधानी बरती कि भारत-विरोधी एक शब्द भी उनके मुँह से नहीं निकला। भारत-नेपाल संबंधों की भावी दिशा क्या होगी, यह जानने के पहले नेपाली राजनीति की आंतरिक पहेली के हल होने का इंतज़ार हमें करना होगा। तात्कालिक भारत-नेपाल संवाद तो सार्थक ही रहा है।
डॉ. वेद प्रताप वैदिक

नेपाल के विदेश मंत्री प्रदीप ग्यावली की यह दिल्ली-यात्रा हुई तो इसलिए है कि दोनों राष्ट्रों के संयुक्त आयोग की सालाना बैठक होनी थी लेकिन यह यात्रा बहुत सामयिक और सार्थक रही है। दोनों देशों के विदेश मंत्रियों ने परस्पर सड़कें बनाने, रेल लाइन डालने, व्यापार बढ़ाने, कुछ नए निर्माण-कार्य करने आदि मसलों पर सहमति दी लेकिन इन निरापद मामलों के अलावा जो सबसे पेंचदार मामला दोनों देशों के बीच आजकल चल रहा है, उस पर भी दोनों विदेश मंत्रियों ने बात की है। नवंबर 2020 में शुरू हुए सीमांत-क्षेत्र के लिपुलेख-कालापानी-लिंपियाधुरा के सीमा-विवाद के कारण दोनों देशों के बीच काफ़ी कहा-सुनी हो गई थी। 

ताज़ा ख़बरें

भारतीय विदेश मंत्रालय इस मामले को इस वार्ता के दौरान शायद ज़्यादा तूल देना नहीं चाहता था। इसीलिए उसने अपनी विज्ञप्ति में इस पर हुई चर्चा का कोई संकेत नहीं दिया लेकिन नेपाली विदेश मंत्रालय ने उस चर्चा का साफ़-साफ़ ज़िक्र किया। इसका कारण यह भी हो सकता है कि नेपाल की आंतरिक राजनीति का यह बड़ा मुद्दा बन गया है। नेपाल की ओली-सरकार द्वारा संसद में रखे गए नेपाल के नए नक्शे पर सर्वसम्मति से मुहर लगाई गई है।

भारत के पड़ोसी देशों की राजनीति की यह मजबूरी है कि उनके नेता अपनी लोकप्रियता बढ़ाने के लिए प्रायः भारत-विरोधी तेवर अख्तियार कर लेते हैं। अब क्योंकि सत्तारुढ़ नेपाली कम्युनिस्ट पार्टी के दो टुकड़े हो गए हैं, संसद भंग कर दी गई है और ओली सरकार इस समय संकटग्रस्त है, इसलिए भारत से भी सहज संबंध दिखाई पड़ें, यह ज़रूरी है। इस काम को नेपाली विदेश मंत्री प्रदीप ग्यावली ने काफ़ी दक्षतापूर्ण ढंग से संपन्न किया है। इस बीच यों भी भारत के सेनापति और विदेश सचिव की काठमांडो-यात्रा ने आपसी तनाव को थोड़ा कम किया है। इंडियन कौंसिल ऑफ़ वर्ल्ड अफ़ेयर्स में ग्यावली ने कई पत्रकारों के सवालों का जवाब देते हुए इतनी सावधानी बरती कि भारत-विरोधी एक शब्द भी उनके मुँह से नहीं निकला। 

कुछ टेढ़े सवालों का जवाब देते समय यदि वे चूक जाते तो उन्हें नेपाल में चीनी दखलंदाज़ी को स्वीकार करना पड़ता लेकिन उन्होंने कूटनीतिक चतुराई का परिचय देते हुए विशेषज्ञों और पत्रकारों पर यही प्रभाव छोड़ा कि भारत-नेपाल सीमा-विवाद का शांतिपूर्वक हल कर लिया जाएगा। उन्होंने 1950 की भारत-नेपाल संधि के नवीकरण की भी चर्चा की। उन्होंने भारत-नेपाल संबंध बराबरी के आधार पर संचालित करने पर जोर दिया और कोरोना-टीके देने के लिए भारत का आभार माना। भारत-नेपाल संबंधों की भावी दिशा क्या होगी, यह जानने के पहले नेपाली राजनीति की आंतरिक पहेली के हल होने का इंतज़ार हमें करना होगा। तात्कालिक भारत-नेपाल संवाद तो सार्थक ही रहा है।

(लेखक, भारतीय विदेश नीति परिषद के अध्यक्ष हैं। डॉ. वेद प्रताप वैदिक के ब्लॉग www.drvaidik.in से साभार)

सत्य हिन्दी ऐप डाउनलोड करें

गोदी मीडिया और विशाल कारपोरेट मीडिया के मुक़ाबले स्वतंत्र पत्रकारिता का साथ दीजिए और उसकी ताक़त बनिए। 'सत्य हिन्दी' की सदस्यता योजना में आपका आर्थिक योगदान ऐसे नाज़ुक समय में स्वतंत्र पत्रकारिता को बहुत मज़बूती देगा। याद रखिए, लोकतंत्र तभी बचेगा, जब सच बचेगा।

नीचे दी गयी विभिन्न सदस्यता योजनाओं में से अपना चुनाव कीजिए। सभी प्रकार की सदस्यता की अवधि एक वर्ष है। सदस्यता का चुनाव करने से पहले कृपया नीचे दिये गये सदस्यता योजना के विवरण और Membership Rules & NormsCancellation & Refund Policy को ध्यान से पढ़ें। आपका भुगतान प्राप्त होने की GST Invoice और सदस्यता-पत्र हम आपको ईमेल से ही भेजेंगे। कृपया अपना नाम व ईमेल सही तरीक़े से लिखें।
सत्य अनुयायी के रूप में आप पाएंगे:
  1. सदस्यता-पत्र
  2. विशेष न्यूज़लेटर: 'सत्य हिन्दी' की चुनिंदा विशेष कवरेज की जानकारी आपको पहले से मिल जायगी। आपकी ईमेल पर समय-समय पर आपको हमारा विशेष न्यूज़लेटर भेजा जायगा, जिसमें 'सत्य हिन्दी' की विशेष कवरेज की जानकारी आपको दी जायेगी, ताकि हमारी कोई ख़ास पेशकश आपसे छूट न जाय।
  3. 'सत्य हिन्दी' के 3 webinars में भाग लेने का मुफ़्त निमंत्रण। सदस्यता तिथि से 90 दिनों के भीतर आप अपनी पसन्द के किसी 3 webinar में भाग लेने के लिए प्राथमिकता से अपना स्थान आरक्षित करा सकेंगे। 'सत्य हिन्दी' सदस्यों को आवंटन के बाद रिक्त बच गये स्थानों के लिए सामान्य पंजीकरण खोला जायगा। *कृपया ध्यान रखें कि वेबिनार के स्थान सीमित हैं और पंजीकरण के बाद यदि किसी कारण से आप वेबिनार में भाग नहीं ले पाये, तो हम उसके एवज़ में आपको अतिरिक्त अवसर नहीं दे पायेंगे।
डॉ. वेद प्रताप वैदिक

अपनी राय बतायें

विचार से और खबरें

ताज़ा ख़बरें

सर्वाधिक पढ़ी गयी खबरें