loader

भारत के मुसलमान भी हिंदू ही हैं?

यह ठीक है कि हिंदू की यह व्यापक और उदार परिभाषा सावरकर को स्वीकार नहीं होगी, क्योंकि उन्होंने अपने प्रसिद्ध ग्रंथ ‘हिंदुत्व’ में लिखा है कि हिंदू वही है, जिसकी पितृभूमि और पुण्यभूमि, दोनों ही भारत हो अर्थात भारतीय मुसलमानों की पुण्यभूमि मक्का-मदीना और ईसाइयों की रोम है तो वे हिंदू कैसे कहला सकते हैं? 
डॉ. वेद प्रताप वैदिक

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के मुखिया मोहन भागवत ने मुंबई की एक सभा में कहा कि मुसलमान नेताओं को कट्टरपंथियों के ख़िलाफ़ दो-टूक रवैया अपनाना चाहिए। उन्होंने यह भी कहा कि यह ऐतिहासिक सत्य है कि भारत में इसलाम विदेशी हमलावरों की वजह से आया है। लेकिन उन्होंने साथ-साथ यह भी कहा कि सारे भारतीयों का डीएनए एक ही है। हम सबके पूर्वज एक ही हैं। हम सब भारतमाता की ही संतान हैं। जिसकी मातृभूमि भारत है, वह हिंदू है। उसकी जाति, भाषा, रंग-रूप और मजहब चाहे जो हो। वास्तव में मोहन भागवत ने हिंदू शब्द की यह जो परिभाषा की है, यह उदारतापूर्ण तो है ही, विदेशियों की दृष्टि में यह पूर्ण सत्य भी है। 

ताज़ा ख़बरें

मैं जब चीन के गाँवों में जाया करता था तो चीनी लोग मुझे ‘इंदुरैन’ कहा करते थे यानी हिंदू आदमी! अफ़ग़ानिस्तान और ईरान में मैंने किसी भी आदमी को ‘भारत’ या ‘इंडिया’ कहते हुए नहीं सुना। वे हमेशा भारत को हिंदुस्थान या हिंदुस्तान ही कहते हैं यानी हिंदुओं का स्थान! अफ़ग़ान और ईरानी विद्वानों के मुंह से मैंने ‘आर्यावर्त्त’ शब्द भी भारत के लिए सुना है। सच्चाई तो यह है कि किसी भी भारतीय प्राचीन संस्कृत ग्रंथ में मैंने हिंदू शब्द नहीं पढ़ा है। वेद, उपनिषद, दर्शन, रामायण, महाभारत आदि किसी धर्मग्रंथ में हिंदू शब्द नहीं है। 

यह हिंदू शब्द भी हमें विदेशी मुसलमानों का दिया हुआ है। इसका सीधा-साधा अर्थ यह है कि सिंधु नदी के आर-पार जो भी रहता है, वह हिंदू है। फारसी भाषा में हमारे ‘स’ का उच्चारण ‘ह’ होता है। जैसे सप्ताह का हफ्ता! इस दृष्टि से जो भी भारत का नागरिक है, वह हिंदू है। 

यह ठीक है कि हिंदू की यह व्यापक और उदार परिभाषा सावरकर को स्वीकार नहीं होगी, क्योंकि उन्होंने अपने प्रसिद्ध ग्रंथ ‘हिंदुत्व’ में लिखा है कि हिंदू वही है, जिसकी पितृभूमि और पुण्यभूमि, दोनों ही भारत हो अर्थात भारतीय मुसलमानों की पुण्यभूमि मक्का-मदीना और ईसाइयों की रोम है तो वे हिंदू कैसे कहला सकते हैं?

सावरकर ने यह उन दिनों लिखा था जब मुसलिम लीग जोरों पर थी और खिलाफत आंदोलन अपने शबाब पर था। अब पिछले 100 साल में दुनिया काफी बदल गई है। लोगों को एक-दूसरे देशों की असलियत का पता बराबर चलता रहता है। अब कौन भारतीय मुसलमान भारत छोड़कर मक्का-मदीना में रहना चाहेगा और कौन ईसाई रोम में बसना चाहेगा? जो लोग विभाजन के समय भारत छोड़कर पाकिस्तान चले गए थे, उनको भी मैंने कराची, लाहौर और इस्लामाबाद में पछताते हुए देखा है।

विचार से ख़ास

वास्तव में भारतीय मुसलमान तो ‘हिंदू मुसलमान’ ही हैं। उन्हें अरब देशों में ‘हिंदी’ या ‘हिंदवी’ ही कहा जाता है। भारतीय मुसलमानों की धमनियों में हज़ारों वर्षों से चली आ रही उत्कृष्ट भारतीय संस्कृति ही बह रही है। इसीलिए मैं उन्हें दुनिया का सर्वश्रेष्ठ मुसलमान कहता हूँ। वे अपने आचरण से यह सिद्ध करें और कट्टरपंथ का अंधानुकरण न करें, यह ज़रूरी है। हिंदू शब्द इतना व्यापक और उदार है कि इसमें दुनिया का कोई भी धर्म, कोई भी जाति, कोई भी कबीला समा सकता है। जो भी भारतीय है, वह हिंदू है।

(डॉ. वेद प्रताप वैदिक के ब्लॉग से साभार।)
सत्य हिन्दी ऐप डाउनलोड करें

गोदी मीडिया और विशाल कारपोरेट मीडिया के मुक़ाबले स्वतंत्र पत्रकारिता का साथ दीजिए और उसकी ताक़त बनिए। 'सत्य हिन्दी' की सदस्यता योजना में आपका आर्थिक योगदान ऐसे नाज़ुक समय में स्वतंत्र पत्रकारिता को बहुत मज़बूती देगा। याद रखिए, लोकतंत्र तभी बचेगा, जब सच बचेगा।

नीचे दी गयी विभिन्न सदस्यता योजनाओं में से अपना चुनाव कीजिए। सभी प्रकार की सदस्यता की अवधि एक वर्ष है। सदस्यता का चुनाव करने से पहले कृपया नीचे दिये गये सदस्यता योजना के विवरण और Membership Rules & NormsCancellation & Refund Policy को ध्यान से पढ़ें। आपका भुगतान प्राप्त होने की GST Invoice और सदस्यता-पत्र हम आपको ईमेल से ही भेजेंगे। कृपया अपना नाम व ईमेल सही तरीक़े से लिखें।
सत्य अनुयायी के रूप में आप पाएंगे:
  1. सदस्यता-पत्र
  2. विशेष न्यूज़लेटर: 'सत्य हिन्दी' की चुनिंदा विशेष कवरेज की जानकारी आपको पहले से मिल जायगी। आपकी ईमेल पर समय-समय पर आपको हमारा विशेष न्यूज़लेटर भेजा जायगा, जिसमें 'सत्य हिन्दी' की विशेष कवरेज की जानकारी आपको दी जायेगी, ताकि हमारी कोई ख़ास पेशकश आपसे छूट न जाय।
  3. 'सत्य हिन्दी' के 3 webinars में भाग लेने का मुफ़्त निमंत्रण। सदस्यता तिथि से 90 दिनों के भीतर आप अपनी पसन्द के किसी 3 webinar में भाग लेने के लिए प्राथमिकता से अपना स्थान आरक्षित करा सकेंगे। 'सत्य हिन्दी' सदस्यों को आवंटन के बाद रिक्त बच गये स्थानों के लिए सामान्य पंजीकरण खोला जायगा। *कृपया ध्यान रखें कि वेबिनार के स्थान सीमित हैं और पंजीकरण के बाद यदि किसी कारण से आप वेबिनार में भाग नहीं ले पाये, तो हम उसके एवज़ में आपको अतिरिक्त अवसर नहीं दे पायेंगे।
डॉ. वेद प्रताप वैदिक

अपनी राय बतायें

विचार से और खबरें

ताज़ा ख़बरें

सर्वाधिक पढ़ी गयी खबरें