क्या आज का यह नया विमर्श केवल सुविधाभोगी और ग़ुलामी का आनंद लेती महिलाओं के लिए है जो फैशनेबल कपड़ों से होता हुआ सैनिटरी नैपकिन पर विश्रमित हो बैठता है?
ख़बर है कि दिल्ली विधानसभा में प्रस्ताव पास हो गया है कि राजीव गाँधी को दिया हुआ भारत रत्न वापस लेना चाहिए। अब सवाल यह है कि ऐसा करके "आप" संदेश क्या देना चाहती है?
नसीरुद्दीन शाह ने कहा कि उनको अपने बच्चों के लिए फ़िक़्र होती है कि यदि कभी किसी भीड़ ने उन्हें घेर लिया तो वे ख़ुद को क्या बताएँगे - हिंदू या मुसलमान… तो इससे देश कैसे बदनाम हो जाता है?
नसीरुद्दीन ने बुलंदशहर हिंसा पर बयान क्या दे दिया, हिंदूवादी संगठन और न्यूज़ चैनल भी उन्हें ग़लत साबित करने में लग गए। आख़िर यह तो सोचना चाहिए कि उन्होंने ऐसा क्यों कहा है।
नसीर को डर तब लगने लगा जब तीन राज्यों के विधानसभा चुनाव के नतीजे आ गए। नसीर, बुलंदशहर हिंसा को, एक क्रूरतम अपराध की घटना को सांप्रदायिक रंग देने की कोशिश कर रहे हैं।
क्या भारतीय जनता पार्टी और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गाँधी से एक छद्म या नक़ली युद्ध लड़ रहे हैं? प्रधानमंत्री पद के लिए बीजेपीविरोधी पार्टियों के कई नेता भ्रम में तो नहीं?
नरेंद्र मोदी ने यदि विश्वनाथ कॉरिडोर बनाने का फ़ैसला लेने के पहले होमवर्क कर लिया होता, विशेषकर काशी के निर्माण का काल, काशी की बनावट-संरचना आदि आती है तो आज यह स्थिति न बनती।
चिदंबरम पर जूता उछालने वाले पत्रकार जरनैल सिंह बता रहे हैं कि सज्जन कुमार की सज़ा उनके लिए क्या मायने रखती है। वे लिखते हैं कि इससे भारतीय न्याय व्यवस्था में उनका विश्वास लौटा है।
जिस तरह की भाषा का इस्तेमाल कैलाश विजयवर्गीय ने सोनिया गाँधी के लिए किया है, उससे यही सवाल खड़ा होता है कि उनके जैसे लोग क्या हिंदू संस्कारों को समझते भी हैं?