प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अचानक लद्दाख का दौरा कर डाला। अचानक इसलिए क्योंकि यह दौरा रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह को करना था। उनके इस दौरे को रद्द करके मोदी स्वयं लद्दाख पहुंच गए। विपक्षी दल इस दौरे पर विचित्र सवाल खड़े कर रहे हैं।
कांग्रेसी नेता कह रहे हैं कि 1971 में इंदिरा गांधी ने भी लद्दाख का दौरा किया था और उसके बाद उन्होंने पाकिस्तान के दो टुकड़े कर दिए थे। अब मोदी क्या करेंगे? कांग्रेसी नेता आखिर चाहते क्या हैं? क्या भारत चीन पर हमला कर दे? तिब्बत को आजाद कर दे? अक्साई चिन को चीन से छीन ले? सिंक्यांग के मुसलमानों को चीन के चंगुल से बाहर निकाल ले?
सबसे दुखद बात यह है कि भारत और चीन के बीच तो समझौता-वार्ता चल रही है लेकिन बीजेपी और कांग्रेस के बीच वाकयुद्ध चल रहा है।
कांग्रेस के नेता यह क्यों नहीं मानते कि मोदी के इस लद्दाख दौरे से हमारे सैनिकों का मनोबल बढ़ेगा? मुझे नहीं लगता कि मोदी लद्दाख इसलिए गए क्योंकि वे चीन को युद्ध का संदेश देना चाहते हैं। उनका उद्देश्य हमारी सेना और देश को यह बताना है कि हमारे सैनिकों की जो कुर्बानियां हुई हैं, उस पर उन्हें गहरा दुख है।
यह दौरा रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह और गृह मंत्री अमित शाह भी कर सकते थे लेकिन मोदी के करने से चीन को भी एक नरम-सा संदेश जा सकता है। वह यह कि रुसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन को बधाई देने और अरबों रुपये के रुसी हथियारों के सौदे के बाद मोदी का लद्दाख पहुंचना चीनी नेतृत्व को यह संदेश देता है कि सीमा विवाद को तूल देना ठीक नहीं होगा। भारत-चीन सीमा विवाद पर देखिए वरिष्ठ पत्रकार आशुतोष का वीडियो -
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