vishwanath pratap singh social justice champion anniversary

सामाजिक न्याय का मसीहा; क्यों याद करें विश्वनाथ प्रताप सिंह को?

आज पूर्व प्रधानमंत्री विश्वनाथ प्रताप सिंह की पुण्य तिथि है। क्यों याद करना चाहिए विश्वनाथ प्रताप सिंह को? क्या सिर्फ़ इसलिए कि वह पूर्व प्रधानमंत्री थे या इसलिए कि वह सामाजिक न्याय की पैरवी करते रहे थे?

मुफ़लिस से

अब चोर बन रहा हूँ मैं

पर

इस भरे बाज़ार से

चुराऊँ क्या

यहाँ वही चीजें सजी हैं

जिन्हें लुटाकर

मैं मुफ़लिस बन चुका हूँ।

भारत के प्रधानमंत्री रहे विश्वनाथ प्रताप सिंह ने ये लाइनें कब लिखीं, यह बता पाना तो मुश्किल है। लेकिन इन पंक्तियों में मांडा नरेश के प्रधानमंत्री बनने से लेकर उन्हें गालियाँ दिए जाने को लेकर उनका दर्द समाया हुआ है। 

विश्वनाथ प्रताप सिंह भारत की ऐसी शख़्शियतों में शामिल हैं, जिन्होंने ग़ैर-बराबरी दूर करने के लिए बड़ी जंग लड़ी। 1989 के आम चुनाव के पहले प्रधानमंत्री पद के उम्मीदवार के रूप में उन्होंने वंचितों को अपनी ओर खींचा ही नहीं, बल्कि चुनाव घोषणा पत्र में मंडल कमीशन की रिपोर्ट लागू करने का वादा भी किया। विश्वनाथ प्रताप की वंचितों के प्रति भावना ही कहेंगे कि उन्होंने सत्ता में आते ही मंडल कमीशन की रिपोर्ट लागू करवाने पर काम शुरू कर दिया। उन्होंने दक्षिण भारत के तेज़-तर्रार आईएएस अधिकारी पीएस कृष्णन को इस काम पर लगाया, जिन्होंने बख़ूबी यह काम करके दिखाया और मंडल कमीशन लागू करने की नींव तैयार कर दी।

ताज़ा ख़बरें

1989 के लोकसभा चुनाव के बाद जो सरकार बनी थी, वह पिछड़े वर्ग की एकता, उस वर्ग के उभार और उस वर्ग के समर्थन से बनी सरकार थी। कांग्रेस से अलग हुए विश्वनाथ प्रताप सिंह के नेतृत्व में चुनाव हुआ। कांग्रेस की पराजय के बाद भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के समर्थन से विश्वनाथ प्रताप सिंह प्रधानमंत्री बने। इस दौर में उत्तर प्रदेश में  मुलायम सिंह यादव व बेनी प्रसाद वर्मा, बिहार में लालू प्रसाद व नीतीश कुमार ताक़तवर रूप से सत्ता में आए थे। 7 अगस्त 1990 को विश्वनाथ प्रताप सिंह ने रिपोर्ट लागू करने की घोषणा की। 10 अगस्त 1990 को आयोग की सिफ़ारिशों के तहत सरकारी नौकरियों में आरक्षण की व्यवस्था करने के ख़िलाफ़ देशव्यापी विरोध प्रदर्शन शुरू हो गया। उधर 13 अगस्त 1990 को मंडल आयोग की सिफ़ारिश लागू करने की अधिसूचना जारी कर दी गई। अगले दिन ही 14 अगस्त 1990 को अखिल भारतीय आरक्षण विरोधी मोर्चे के अध्यक्ष उज्ज्वल सिंह ने आरक्षण प्रणाली के ख़िलाफ़ सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की।

आरक्षण लागू करने की इस गहमागहमी के बीच बीजेपी के नेता लालकृष्ण आडवाणी अयोध्या में राम मंदिर बनाने के लिए रथयात्रा लेकर निकल पड़े थे और बिहार में उनके गिरफ्तार होने पर बीजेपी ने वीपी सिंह सरकार से समर्थन वापस ले लिया। वीपी सिंह सरकार गिर गई और जनता दल बँट गया।

18 दिसम्बर 1990 को गोरखपुर के तमकुही कोठी मैदान में मांडा के राजा विश्वनाथ प्रताप सिंह की सभा होने वाली थी। आरक्षण लागू होने बाद सामाजिक न्याय के मसीहा का पहला और मेगा शो गोरखपुर में हुआ। वीपी सिंह ने उस रैली में कहा,

‘भूख एक ऐसी आग है कि जब वह पेट तक सीमित रहती है तो अन्न और जल से शांत हो जाती है और जब वह दिमाग तक पहुँचती है तो क्रांति को जन्म देती है। इस पर ग़ौर करना होगा। ग़रीबों के मन की बात दब नहीं सकती और अंततः उसके दृढ़ संकल्प की जीत होगी।’ 

सिंह ने कहा था,

ग़रीबों की कोई बिरादरी नहीं होती। दंगों में मारे जाने वाले लोग हिंदू और मुसलमान नहीं, हिंदुस्तान के ग़रीब लोग हैं। ग़रीबों के साथ हमेशा अत्याचार होते रहे हैं। इस शोषण अत्याचार को बंद करके समाज के पिछड़े तबक़े के लोगों को ऊपर उठाना होगा।


विश्वनाथ प्रताप सिंह, पूर्व प्रधानमंत्री

विश्वनाथ प्रताप सिंह ने पिछड़े तबक़े के उभार के लिए जो क्रांति कर दी, उसकी धमक उत्तर भारत में तीन दशक तक बनी रही। वंचित तबक़े के हज़ारों युवा आईएएस, आईपीएस और पीसीएस सहित विभिन्न न्यायिक सेवाओं में पहुँचे। सरकारी नौकरियों, विश्वविद्यालयों शिक्षण संस्थानों में तेज़ी से पिछड़े वर्ग की हिस्सेदारी बढ़ी। इंजीनियरिंग कॉलेजों और मेडिकल कॉलेजों में बड़े पैमाने पर समाज के पिछड़े वर्ग के बच्चों को प्रवेश मिलने लगा और ताक़त का उचित बँटवारा नज़र आने लगा। विश्वनाथ प्रताप सिंह ने वह कर दिखाया, जिससे यह कहकर इनकार किया जाता रहा था कि पाँचों अँगुलियाँ बराबर नहीं होतीं और यह संभव ही नहीं है कि समाज का हर वर्ग उचित हिस्सेदारी प्राप्त कर सकता है।

विचार से ख़ास

अब एक बार फिर वह दौर आ गया है कि भारत में चर्चा मंदिर, मसजिद, राष्ट्रवाद, राष्ट्रद्रोह, पाकिस्तान तक सिमट गई है। गिरती अर्थव्यवस्था, घटते रोज़गार, किसानों की दुर्दशा चर्चा से एक सिरे से ग़ायब नज़र आते हैं। ऐसे में विश्वनाथ प्रताप सिंह की एक और कविता को याद कर लेना ज़रूरी है...

भगवान हर जगह है

इसलिये जब भी जी चाहता है

मैं उन्हे मुट्ठी में कर लेता हूँ

तुम भी कर सकते हो

हमारे तुम्हारे भगवान में

कौन महान है

निर्भर करता है

किसकी मुट्ठी बलवान है।

सत्य हिन्दी ऐप डाउनलोड करें

गोदी मीडिया और विशाल कारपोरेट मीडिया के मुक़ाबले स्वतंत्र पत्रकारिता का साथ दीजिए और उसकी ताक़त बनिए। 'सत्य हिन्दी' की सदस्यता योजना में आपका आर्थिक योगदान ऐसे नाज़ुक समय में स्वतंत्र पत्रकारिता को बहुत मज़बूती देगा। याद रखिए, लोकतंत्र तभी बचेगा, जब सच बचेगा।

नीचे दी गयी विभिन्न सदस्यता योजनाओं में से अपना चुनाव कीजिए। सभी प्रकार की सदस्यता की अवधि एक वर्ष है। सदस्यता का चुनाव करने से पहले कृपया नीचे दिये गये सदस्यता योजना के विवरण और Membership Rules & NormsCancellation & Refund Policy को ध्यान से पढ़ें। आपका भुगतान प्राप्त होने की GST Invoice और सदस्यता-पत्र हम आपको ईमेल से ही भेजेंगे। कृपया अपना नाम व ईमेल सही तरीक़े से लिखें।
सत्य अनुयायी के रूप में आप पाएंगे:
  1. सदस्यता-पत्र
  2. विशेष न्यूज़लेटर: 'सत्य हिन्दी' की चुनिंदा विशेष कवरेज की जानकारी आपको पहले से मिल जायगी। आपकी ईमेल पर समय-समय पर आपको हमारा विशेष न्यूज़लेटर भेजा जायगा, जिसमें 'सत्य हिन्दी' की विशेष कवरेज की जानकारी आपको दी जायेगी, ताकि हमारी कोई ख़ास पेशकश आपसे छूट न जाय।
  3. 'सत्य हिन्दी' के 3 webinars में भाग लेने का मुफ़्त निमंत्रण। सदस्यता तिथि से 90 दिनों के भीतर आप अपनी पसन्द के किसी 3 webinar में भाग लेने के लिए प्राथमिकता से अपना स्थान आरक्षित करा सकेंगे। 'सत्य हिन्दी' सदस्यों को आवंटन के बाद रिक्त बच गये स्थानों के लिए सामान्य पंजीकरण खोला जायगा। *कृपया ध्यान रखें कि वेबिनार के स्थान सीमित हैं और पंजीकरण के बाद यदि किसी कारण से आप वेबिनार में भाग नहीं ले पाये, तो हम उसके एवज़ में आपको अतिरिक्त अवसर नहीं दे पायेंगे।
प्रीति सिंह

अपनी राय बतायें

विचार से और खबरें

ताज़ा ख़बरें

सर्वाधिक पढ़ी गयी खबरें