राजनीतिक ध्रुवीकरण के आरोप झेल रही बीजेपी दलित ध्रुवीकरण के मामले में जो कर रही है, उससे उसके ख़िलाफ़ ही माहौल बन रहा है। न वह दलितों को साध रही है न ही सवर्णों को
हार्दिक पटेल ने यूपी में बेजीपे के ही मुद्दों पर उसे घेरा, योगी-मोदी को लिया निशाने पर सरकार को कटघरे में खड़ा किया। क्या वे वहां अपनी सियासी ज़मीन तलाश रहे हैं?
'एक्सीडेंटल प्राइम मिनिस्टर' से कांग्रेसियों की भावनाएँ आहत हो रही हैं। उनके तर्क का निहितार्थ यह है कि इससे किसी नेता या पार्टी का भविष्य बन या बिगड़ सकता है। क्या यह मूर्ख़तापूर्ण नहीं है?
सब कुछ जानने वाली बीजेपी सरकार को यह पूछा जाना चाहिए कि पति के जेल जाने के बाद उसकी बीबी और उसके बच्चे क्या खाएंगे। क्या वह सिर्फ मुसलमानों को परेशान करना चाहती है?
मुसलमानों का कहना है कि सत्तारूढ़ दल तीन तलाक़ के बहाने अपना राजनीतिक अजंडा लागू करना चाहता है, सरकार इस मुद्दे पर समाज से राय मशविरा ले कर अब भी काम कर सकती है।
क्या बीजेपी को 2019 लोकसभा चुनाव में किसानों के ग़ुस्से का डर है? यदि ऐसा नहीं है तो वह अब क्यों किसानों को लुभाने की तैयारी में जुट गई है? अब ज़ोर-शोर से बैठकें क्यों शुरू कर दी है?
महाराष्ट्र कांग्रेस के नेता राधे कृष्ण पाटिल के बेटे सुजॉय ने संकेत दिया है कि वे पार्टी छोड़ सकते हैं, इससे पार्टी नेतृत्व परेशान है। इसका असर पूरी पार्टी पर पड़ सकता है।
एनडीए से नाता तोड़ने वाली शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे की धमकी को लेकर आरएसएस के मुखपत्र तरुण भारत में छपे एक लेख के ज़रिए ठाकरे की जमकर आलोचना की गई है।
क़ानून मंत्री रविशंकर प्रसाद अब निचली अदालतों में न्यायाधीशों की नियुक्ति में भी आरक्षण की वकालत कर रहे हैं। क्या पाँच राज्यों में हार ने बीजेपी को नई रणनीति के लिए मजबूर किया है?
लालू प्रसाद के बड़े बेटे को मलाल है कि छोटे बेटे को पार्टी की कमान दे दी गई, लिहाज़ा, वे बदले की भावना से राजनीति में सक्रिय हैं। पर क्या वे कामयाब हो पाएंगे?