पिछले कुछ समय से यह देखा जा सकता है कि नसीरुद्दीन शाह अपनी फ़िल्मी दुनिया के अलावा मौजूदा राजनीति और समाज के ढर्रे पर भी बहुत मुखर होकर अपनी नाख़ुशी या नाराज़गी जताते रहते हैं।
14 जुलाई 1917 को पैदा हुए संगीतकार रोशन की जन्म शताब्दी तीन साल पहले आकर चुपचाप गुज़र भी गयी लेकिन उनके परिवार के अलावा फ़िल्मी दुनिया में शायद ही उन्हें किसी आयोजन के ज़रिये याद किया गया हो।
पत्रकारिता आज़ादी के दौर में मिशन थी, बाद में प्रोफ़ेशन बन गयी और अब टीवी चैनलों के शोर के दौर में प्रहसन हो चुकी है। इस पत्रकारिता का सूत्र वाक्य है - सनसनी सत्यं, ख़बर मिथ्या।
‘पाताल लोक’ में इंस्पेक्टर हाथीराम चौधरी और उनके जूनियर इमरान अंसारी ने शानदार अभिनय किया है। ‘पाताल लोक’ से अल्पसंख्यकों के मसले पर समाज की सोच कैसी है, इसका भी पता चलता है।
कोरोना वायरस संक्रमण की वजह से जारी देशव्यापी लॉकडाउन के बीच गुरुवार को बुद्ध पूर्णिमा की सुबह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का संबोधन सुन कर कई तरह के ख़याल आए।
मध्यवर्गीय परवरिश वाले माहौल से आने वाले इरफ़ान ने नेशनल स्कूल ऑफ़ ड्रामा से निकलकर मुंबई की चकाचौंध वाली फ़िल्म इंडस्ट्री में अपने काम के दम पर पहचान बनाई।
कोरोना वायरस संक्रमण के ख़तरे के चलते जारी लाॅकडाउन की वजह से रामनवमी बिना किसी राजनैतिक, धार्मिक और सामाजिक शोरशराबे, भीड़भाड़ और कर्मकांडी तामझाम के मनी।
ऐसे समय में जब देश कोरोना वायरस के संक्रमण के कारण बेहाल है, दिहाड़ी मजदूरों की कमर टूट चुकी है, मंत्रियों का रामायण देखते हुये फ़ोटो ट्वीट करना क्या जायज है?
सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश रहे जस्टिस रंजन गोगोई को रिटायर होने के सिर्फ़ चार महीने बाद ही राज्यसभा का सांसद मनोनीत करने के मामले ने न्यायपालिका की बेदाग़ छवि और सरकार से उसके रिश्तों को लेकर नये सिरे से तीखी बहस छेड़ दी है।
19वीं शताब्दी के भारतीय सिख सम्राट महाराजा रणजीत सिंह का बीबीसी के एक सर्वेक्षण में पूरी दुनिया की तमाम ऐतिहासिक हस्तियों के बीच सर्वकालिक महान शासक चुना जाना एक चौंकाने वाली ख़बर है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने लोकसभा में भाषण के दौरान भारत विभाजन के लिए इशारों-इशारों में देश के पहले प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू पर आरोप लगाया, वल्लभभाई पटेल पर क्यों नहीं?