कांग्रेस ने राष्ट्रपति से अपील की है कि वह राजधर्म की रक्षा के लिये अपनी शक्तियों का प्रयोग करें। कांग्रेस ने दंगों को लेकर अमित शाह के इस्तीफ़े की मांग भी की है।
दिल्ली में दंगों के दौरान दंगाई खुलकर अपने काम को अंजाम देते रहे। दंगों में कई लोगों की मौत हो गई, घरों-दुकानों-गाड़ियों में आग लगा दी गई। दंगों के लिये कौन जिम्मेदार है, इस पर सरकार व प्रशासन पूरी तरह चुप है।
नागरिकता क़ानून के विरोध में दिल्ली में हुई हिंसा के दौरान पुलिस की भूमिका पर ढेरों सवाल खड़े हुए हैं। तीन दिन तक दिल्ली के जलने के बाद पुलिस होश में आई। सवाल यह है कि क्या पुलिस किसी दबाव में थी।
नागरिकता क़ानून को लेकर दिल्ली में हुई हिंसा को लेकर पुलिस की भूमिका पर ढेरों सवाल खड़े हो रहे हैं। आख़िर पुलिस ने दंगाइयों को रोकने की कोशिश क्यों नहीं की?
नागरिकता क़ानून के समर्थक और विरोधियों के बीच जारी हिंसा के कारण दिल्ली का माहौल ख़ासा तनावपूर्ण है। मंगलवार को भी दिन भर उत्तर-पूर्वी जिले के कई इलाक़ों में आगजनी की घटनाएं हुईं।
जाफराबाद-मौजपुर क्षेत्र में रविवार को शुरू हुई हिंसा के बाद पाँच दिन में मृतकों की संख्या बढ़कर 39 हो गई है और 250 से ज़्यादा लोग घायल हैं। अधिकतर लोगों की मौत गोली लगने से हुई है।
दिल्ली में हो रही हिंसा की कवरेज करने जाफ़राबाद गये एक फ़ोटोग्राफ़र भी उपद्रवियों के बीच फंस गये। उन्होंने अपनी जो कहानी बताई है, वह रोंगटे खड़े कर देने वाली है।