हैदराबाद में नगर-निगम के चुनाव और उसके परिणाम स्थानीय नहीं, अंतरराष्ट्रीय चुनाव साबित हो सकता है। जिन्ना ने तो सिर्फ़ एक पाकिस्तान खड़ा किया था लेकिन अब भारत में दर्जनों पाकिस्तान उठ खड़े हो सकते हैं।
ग्रेटर हैदराबाद नगर निगम के चुनाव नतीजों ने एक बार फिर साबित कर दिया है कि बीजेपी की हिंदुत्ववादी ध्रुवीकरण की राजनीति उसे किस पैमाने पर कामयाबी दिला सकती है।
बिहार चुनाव में असदुद्दीन ओवैसी ने पाँच सीटें क्या जीतीं, वे तमाम दलों के निशाने पर आ गए। अभी तक उन्हें बीजेपी का एजेंट भर कहा जाता था, मगर अब वे जिन्ना से लेकर गली के गुंडे तक जाने क्या-क्या कहे जाने लगे हैं। वरिष्ठ पत्रकार मुकेश कुमार की रिपोर्ट-
मुसलिम नेता असदुद्दीन ओवैसी देश में लगातार संगठित और मज़बूत होते हिंदू राष्ट्रवाद के समानांतर अल्पसंख्यक स्वाभिमान और सुरक्षा का तेज़ी से ध्रुवीकरण कर रहे हैं।
कुछ लोग ओवैसी पर बीजेपी से पैसे लेने का आरोप भी लगाते हैं लेकिन जब उनसे यही बात सार्वजनिक रूप से बोलने को कहा जाता है तो वे पीछे हट जाते हैं। इस तरह के आरोपों से ओवैसी के समर्थक बढ़ते हैं।
जिस पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री पर मुसलमानों के तुष्टिकरण का आरोप लगता है, जिस राज्य में हिन्दू-मुसलमान विभाजन की राजनीति अभी भी जड़ें नहीं जमा पाई है, वहां मुसलमानों की बात करने वाले असदउद्दीन ओवैसी क्या कहेंगे?
क्या बिहार में ओवैसी की राजनीति ने तेजस्वी की सरकार नहीं बनने दी? क्या वह मुसलिम के हित में हैं या देश हित में नहीं हैं? आशुतोष के साथ चर्चा में शीबा असलम फहमी, समी अहमद, शरद गुप्ता, विजय त्रिवेदी और आलोक जोशी।
बिहार विधानसभा चुनाव में पाँच सीटें जीत कर सबको हैरत में डालने के बाद ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुसलिमीन (एआईएमआईएम) ने अब पश्चिम बंगाल का रुख किया है।
ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तहादुल-ए-मुसलिमीन (एआईएमआईएम) को मुसलिम समुदाय से मिला समर्थन ग़ैर-बीजेपी दलों को इस पर आत्ममंथन करने को मज़बूर करेगा कि बीजेपी के ख़िलाफ़ खड़ी ये पार्टियाँ हिन्दुत्व की चुनौती का सामना करने में क्यों हिचक रही हैं।
बीजेपी का विरोध करने वाले ओवैसी का समर्थन क्यों कर रहे? अर्णब को ज़मानत तो कप्पन को क्यों नहीं? देखिए वरिष्ठ पत्रकार मुकेश कुमार के साथ दिन की पाँच बड़ी ख़बरों का विश्लेषण। Satya Hindi