सुप्रीम कोर्ट के फ़ैसले पर ज़्यादा नाराज़गी तो नहीं है, लेकिन कुछ विरोधाभास की बातें कही जा रही हैं। मिसाल के तौर पर फ़ैसले में कहा गया मंदिर तोड़कर मसजिद बनाए जाने की पुष्टि नहीं और मसजिद में मूर्ति रखना ग़लत। तो फिर फ़ैसला इससे अलग क्यों? सत्य हिंदी पर शैलेश की रिपोर्ट।
अयोध्या विवाद पर सुप्रीम कोर्ट ने फ़ैसला सुना दिया है। 2.77 एकड़ विवादित ज़मीन रामलला विराजमान को राम मंदिर बनाने के लिए दे दी गई है। मुसलिम पक्ष अब क्या चाहता है?
‘मंदिर वहीँ बनाएँगे’, पिछले तीस साल से यह नारा लगाते हुए जिनके गले छिल गए हैं, उनकी पीठ थपथपाते हुए कहा गया है, ‘इतना हलकान क्यों होते हो? मंदिर वहीं बनेगा।’
अयोध्या विवाद पर सुप्रीम कोर्ट के फ़ैसले पर एआईएमआईएम प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी ने तीखी प्रतिक्रिया व्यक्त की है। उन्होंने साफ़-साफ़ कहा कि मैं अयोध्या पर सुप्रीम कोर्ट के फ़ैसले से संतुष्ट नहीं हूँ।
अयोध्या विवाद पर आए सुप्रीम कोर्ट के फ़ैसले का लोगों ने सम्मान किया है। अधिकतर लोगों ने इस फ़ैसले से संतोष जताया है, लेकिन कई ऐसे भी लोग हैं जिन्होंने फ़ैसले पर असंतोष ज़ाहिर किया है।
सुप्रीम कोर्ट ने बाबरी मसजिद-राम मंदिर विवाद पर फ़ैसला सुनाते हुए निर्मोही अखाड़ा के दावे को खारिज कर दिया है। अदालत ने कहा है कि निर्मोही अखाड़ा सेवईत नहीं है।
सुप्रीम कोर्ट थोड़ी देर में बाबरी मसजिद-राम मंदिर विवाद पर फ़ैसला सुना देगा। इसके लिए अयोध्या में ख़ास तैयारियाँ की गई हैं, सुरक्षा बलों को विशेष प्रशिक्षण दिया गया है।
आज अयोध्या विवाद पर सुप्रीम कोर्ट फ़ैसला सुनाएगा। वे कौन मुद्दे हैं, जिन पर सर्वोच्च अदालत को निर्णय देना है? इन्ही मुद्दों पर 2010 में इलाहाबाद ने फ़ैसला सुनाया था। क्या था वह फैसला?
अयोध्या विवाद पर आने वाले सुप्रीम कोर्ट के फ़ैसले से पहले मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगोई ने उत्तर प्रदेश के मुख्य सचिव राजेंद्र कुमार तिवारी और डीजीपी ओम प्रकाश सिंह को सुप्रीम कोर्ट में बुलाया है।
अयोध्या विवाद पर सुप्रीम कोर्ट के फ़ैसले से पहले भले ही सबकुछ सामान्य दिख रहा है, लेकिन अयोध्या में लोगों के दिलों में डर भी है। तरह-तरह की आशंकाएँ क्यों हैं?