loader

निर्मोही अखाड़ा का दावा खारिज, ट्रस्ट में प्रतिनिधित्व, अखाड़ा ने जताया आभार

सुप्रीम कोर्ट ने बाबरी मसजिद-राम मंदिर विवाद पर फ़ैसला सुनाते हुए निर्मोही अखाड़ा के दावे को खारिज कर दिया है। अदालत ने कहा है कि निर्मोही अखाड़ा सेवईत नहीं है। बता दें कि सेवईत उसे कहते हैं जो मूर्तियों की सेवा करता है। अदालत के इस फैसले का मतलब यह है कि निर्मोही अखाड़ा को सेवा करने का हक़ नहीं है।
ताज़ा ख़बरें
लेकिन अदालत ने यह भी कहा कि मंदिर के निर्माण के लिए जो ट्रस्ट बनेगा, उसमें निर्मोही अखाड़े को प्रतिनिधित्व मिलना चाहिए।
अदालत ने इसके साथ ही 2010 के इलाहाबाद हाई कोर्ट के फ़ैसले में निर्मोही अखाड़ा को ज़मीन देने को अतार्किक क़रार दिया। सुप्रीम कोर्ट ने कहा यह तर्क से परे है कि पहले हाई कोर्ट ने निर्मोही अखाड़ा के दावे को खारिज कर दिया, लेकिन उसके बाद ज़मीन में उसे हिस्सा भी दिया।
बता दें कि इलाहाबाद हाई कोर्ट ने 2010 के निर्णय में निर्मोही अखाड़ा, सुन्नी वक़्फ़ बोर्ड और राम लला विराजमान को विवादित ज़मीन बाँट दी थी। 
लेकिन निर्मोही अखाड़ा ने सुप्रीम कोर्ट के प्रति आभार जताया है। उसने कहा है कि वह सुप्रीम कोर्ट के प्रति कृतज्ञ है कि अदालत ने उसके संघर्ष को मंज़ूर किया और राम मंदिर बनाने के लिए बनने वाले ट्रस्ट में अखाड़े का प्रतिनिधित्व सुनिश्चित किया है। 
अयोध्या विवाद से और ख़बरें
निर्मोही अखाड़ा के प्रवक्ता कार्तिक चोपड़ा ने कहा, 'निर्मोही अखाड़ा सुप्रीम कोर्ट के प्रति कृतज्ञ है कि उसने हमारे 150 साल के संघर्ष को स्वीकार किया है और मंदिर निर्माण के लिए बनने वाले ट्रस्ट में हमें समुचित प्रतिनिधित्व दिया है।' 
सत्य हिन्दी ऐप डाउनलोड करें

गोदी मीडिया और विशाल कारपोरेट मीडिया के मुक़ाबले स्वतंत्र पत्रकारिता का साथ दीजिए और उसकी ताक़त बनिए। 'सत्य हिन्दी' की सदस्यता योजना में आपका आर्थिक योगदान ऐसे नाज़ुक समय में स्वतंत्र पत्रकारिता को बहुत मज़बूती देगा। याद रखिए, लोकतंत्र तभी बचेगा, जब सच बचेगा।

नीचे दी गयी विभिन्न सदस्यता योजनाओं में से अपना चुनाव कीजिए। सभी प्रकार की सदस्यता की अवधि एक वर्ष है। सदस्यता का चुनाव करने से पहले कृपया नीचे दिये गये सदस्यता योजना के विवरण और Membership Rules & NormsCancellation & Refund Policy को ध्यान से पढ़ें। आपका भुगतान प्राप्त होने की GST Invoice और सदस्यता-पत्र हम आपको ईमेल से ही भेजेंगे। कृपया अपना नाम व ईमेल सही तरीक़े से लिखें।
सत्य अनुयायी के रूप में आप पाएंगे:
  1. सदस्यता-पत्र
  2. विशेष न्यूज़लेटर: 'सत्य हिन्दी' की चुनिंदा विशेष कवरेज की जानकारी आपको पहले से मिल जायगी। आपकी ईमेल पर समय-समय पर आपको हमारा विशेष न्यूज़लेटर भेजा जायगा, जिसमें 'सत्य हिन्दी' की विशेष कवरेज की जानकारी आपको दी जायेगी, ताकि हमारी कोई ख़ास पेशकश आपसे छूट न जाय।
  3. 'सत्य हिन्दी' के 3 webinars में भाग लेने का मुफ़्त निमंत्रण। सदस्यता तिथि से 90 दिनों के भीतर आप अपनी पसन्द के किसी 3 webinar में भाग लेने के लिए प्राथमिकता से अपना स्थान आरक्षित करा सकेंगे। 'सत्य हिन्दी' सदस्यों को आवंटन के बाद रिक्त बच गये स्थानों के लिए सामान्य पंजीकरण खोला जायगा। *कृपया ध्यान रखें कि वेबिनार के स्थान सीमित हैं और पंजीकरण के बाद यदि किसी कारण से आप वेबिनार में भाग नहीं ले पाये, तो हम उसके एवज़ में आपको अतिरिक्त अवसर नहीं दे पायेंगे।
क़मर वहीद नक़वी

अपनी राय बतायें

अयोध्या विवाद से और खबरें

ताज़ा ख़बरें

सर्वाधिक पढ़ी गयी खबरें