राजस्थान सरकार ने कोरोना वायरस के संक्रमण की रैपिड टेस्टिंग को रोक दिया है। सरकार का कहना है कि रैपिड टेस्टिंग किट से किए गए टेस्ट के नतीजे ग़लत आ रहे हैं।
लॉकडाउन के बीच घर पहुँचने के लिए 12 साल की लड़की 150 किलोमीटर तक पैदल चली। छत्तीसगढ़ के बिजापुर में अपने घर से क़रीब एक घंटे दूर पहुँची ही थी कि उसकी मौत हो गई।
कोरोना का युद्ध इतना गंभीर है कि यह पूरा पिछला एक महीना हम सब लोग अंदरुनी सवालों से ही जूझते रहे। फिर भी यह तो मानना पड़ेगा कि इस कोरोना-संकट के दौरान भारत की विश्व-छवि बेहतर ही हुई है।
कोरोना वायरस से कैसे बचें? लेकिन इससे तभी बचेंगे न जब यह जानते हों कि कोरोना वायरस कहाँ-कहाँ हो सकता है। आपके कपड़ों में? जूतों में? बालों में? अख़बार में? आपके घर के फर्श पर? दरवाज़े की कुंडी में? इनसे संक्रमण का कितना ज़्यादा ख़तरा है?
भारत में कोरोना महामारी की आड़ में मुसलिम समुदाय के ख़िलाफ़ जिस तरह सरकारी और ग़ैर-सरकारी स्तर पर सुनियोजित नफ़रत-अभियान और मीडिया ट्रायल चलाया जा रहा है, उसकी अंतरराष्ट्रीय स्तर पर प्रतिक्रिया होने लगी है।
लॉकडाउन की वजह से इस बार रमज़ान की रौनक फीकी हो गयी है। तमाम इसलामिक इदारों ने फतवा जारी कर मुसलमानों से रमज़ान के दौरान घर पर ही इबादत करने को कहा है।
खाड़ी के देशों की तल्ख़ी के बाद भारत सरकार को क्यों बयान देना पड़ा? कोरोना की आड़ में कौन लोग इस्लामोफोबिया फैला रहे हैं? मीडिया के एक वर्ग को कब शर्म आयेगी?
लॉकडाउन कब हटेगा, कोरोना संकट कब ख़त्म होगा या इसका टीका कब तक खोज लिया जाएगा, ऐसे कई सवाल हैं जो सबको परेशान कर रहे हैं। अमरीकी अख़बार न्यूयॉर्क टाइम्स ने बीस जाने माने विशेषज्ञों से बात करके इन सवालों के जवाब ढूँढने की कोशिश की है। ये तो तय है कि इस संकट का समाधान टीका की खोज में है मगर उसमें लंबा वक़्त लग सकता है।
सपनों का शहर न्यूयार्क इन दिनों ख़ौफ़ के साए में है। कोरोना का क़हर सबसे बुरी तरह यहीं टूट कर बरपा हुआ है। कैसे चल रही है न्यूयार्क में ज़िंदगी? और क्या ट्रंप को जान से ज़्यादा चुनाव प्यारा है? आलोक जोशी ने बात की न्यूयार्क और संयुक्त राष्ट्र पर नज़र रखनेवाली पत्रकार योशिता सिंह से।