उत्तरप्रदेश में दलित स्त्रियों के साथ दुष्कर्म और नृशंस हत्याओं का सिलसिला योगी राज के बारे में क्या कहता है क्या योगी सरकार में दलितों को पहले के मुक़ाबले ज़्यादा सुरक्षा मिली क्या उन्हें सरकार से न्याय मिल सका क्या दलित पाँच साल के अनुभव के बाद बीजेपी को वोट देंगे डॉ. मुकेश कुमार के साथ चर्चा में शामिल हैं-विनोद अग्निहोत्री, वीरेंद्र भट्ट, रविकांत, शीबा असलम फ़हमी और अंबरीश सक्सेना
मध्य प्रदेश के गुना ज़िले में दंबगों द्वारा शमशान घाट का रास्ता रोक देने से एक दलित महिला का अंतिम संस्कार 24 घंटे रुका रहा। पुलिस और प्रशासन के हस्तक्षेप के बाद दाह संस्कार हो पाया।
Hindi News Bulletin। 12 मार्च, दोपहर तक की ख़बरें।रिपोर्ट : भर्ती प्रक्रिया में छुपाए जाएँ नाम, दलितों के साथ होता है भेदभाव।बंगाल चुनाव : शुभेंदु अधिकारी ने नंदीग्राम से भरा पर्चा
उत्तर प्रदेश में दलितों की यह स्थिति है कि पेड़ से पत्तियाँ तोड़ लेने के आरोप में एक दलित को बुरी तरह पीटा गया। इससे अपमानित उस युवक ने आत्महत्या कर ली। पुलिस ने इस मामले में दो लोगों को गिरफ़्तार किया है और जाँच कर रही है।
Satya Hindi News Bulletin। सत्य हिंदी समाचार बुलेटिन। उत्तर प्रदेश : दलित ने हैंडपंप छू लिया तो लाठियों से पीटा।जयपुर-दिल्ली हाइवे बंद, दोनों लेन पर बैठे किसान
Satya Hindi News Bulletin। सत्य हिंदी समाचार बुलेटिन।अमेठी: दलित प्रधान के पति को जिंदा जलाया, मौत ।भोपाल में हुआ फ्रांस के ख़िलाफ़ भारी विरोध प्रदर्शन
उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ इस बात का दावा करते नहीं थकते कि प्रदेश में हर व्यक्ति सुरक्षित है। लेकिन दलितों पर हो रहे अत्याचार की तमाम घटनाएं उन्हें पूरी तरह झूठा साबित करती हैं।
हाथरस घटना के बाद ग़ाज़ियाबाद के करेरा में कथित तौर पर 236 दलितों के बौद्ध धर्म अपनाने की बात अभी प्रशासन मानने को तैयार भी नहीं है कि और भी दलित परिवारों ने धर्म परिवर्तन की चेतावनी दी है।
हर रोज़ भेदभाव और अपमान झेलते रहे दलितों को हाथरस मामले ने किस हद तक झकझोर दिया है? यह इससे अंदाज़ा लगाया जा सकता है कि इस घटना के बाद कम से कम 236 दलितों ने बौद्ध धर्म अपना लिया है। एनसीआर में ही।
Satya Hindi News Bulletin। सत्य हिंदी समाचार बुलेटिन।यूपी: दलित बुजुर्ग को पीटा, पेशाब पीने को किया मजबूर।चीन: भारत ने अवैध तरीके से लद्दाख को केंद्रशासित बनाया
उत्तर प्रदेश के गोंडा में तीन दलित बहनों पर एसिड हमला कर दिया। सवाल है कि आख़िर तमाम प्रयासों के बावजूद एसिड के हमले क्यों नहीं रुक रहे हैं? उत्तर प्रदेश में महिलाओं के ख़िलाफ़ अपराध क्यों कम नहीं हो रहे हैं?
इतिहास में हमेशा ऐसे लोग हुए हैं जो अन्याय को पहचान सके हैं। जो हिंसा के स्रोत तक पहुँच पाते हैं। ऐसे लोगों को आप चाहे तो न्याय का समुदाय या इंसाफ़ की बिरादरी कह सकते हैं।