उत्तर प्रदेश में हाथरस मामले के बाद समाज के आम लोगों में क़ानून व्यवस्था को लेकर बेहद ग़ुस्सा है। लेकिन इस ग़ुस्से से क्या आम आदमी सुरक्षित हो जाएगा, नहीं क्योंकि जिन पर सुरक्षा का जिम्मा है, वे इस मोर्चे पर ज़ीरो साबित हो रहे हैं। हाथरस की हैवानियत के तुरंत बाद बलरामपुर में एक दलित युवती के साथ भी ऐसी ही घटना हुई और वहां भी पुलिस पर आरोप लगे कि उसने रात में ही इस युवती का दाह संस्कार करवा दिया।
हाथरस, बलरामपुर के बाद चित्रकूट में एक नाबालिग दलित लड़की के साथ दरिंदगी की गई है। यह घटना चित्रकूट कोतवाली इलाक़े के कैमरहा का पूर्व नाम के गांव में हुई है। नाबालिग के परिजनों ने कहा कि वह 8 अक्टूबर को शौच के लिए खेतों में गई थी, जहां से तीन लोगों ने उसे अगवा कर लिया और फिर बलात्कार की वारदात को अंजाम दिया। इसके बाद हैवानों ने नाबालिग के हाथ-पांव बांधकर उसे एक नर्सरी में फेंक दिया। यह घटना 8 अक्टूबर को हुई।
परिजनों ने कहा कि ये तीनों लोग उनके ही गांव के रहने वाले हैं। घटना से परेशान नाबालिग ने मंगलवार को आत्महत्या कर ली।
नाबालिग की मां ने कहा, ‘तीन लोग मोटरसाइकिल पर बेटी को अगवा कर ले गए। जब हमें वह मिली तो उसके हाथ और पांव बंधे थे। हमने उसे घर लाने के बाद पूछने की कोशिश की कि वह उन लोगों के नाम बताए लेकिन वह घटना से बुरी तरह टूट चुकी थी, इसलिए कुछ नहीं बता सकी।’ उन्होंने कहा कि उनकी बेटी सदमे के कारण पुलिस को भी कुछ नहीं बता सकी। इसके बाद उसने आत्महत्या कर ली। पुलिस अभियुक्तों की तलाश में जुटी हुई है।
कब तक भागेगी सरकार?
इस प्रदेश में योगी सरकार के ख़िलाफ़ आवाज़ उठाओ तो कहा जाएगा कि इसलामिक देशों से 100 करोड़ की फ़ंडिंग सरकार को बदनाम करने के लिए हो रही है, लोग इस तरह की कोरी बकवास पर भरोसा भी कर लें लेकिन आम आदमी की हिफ़ाजत की जिम्मेदारी का काम अगर सरकार नहीं कर पाएगी तो सवाल तो पूछने ही पड़ेंगे। उसमें भी उत्तर प्रदेश में दलित समाज पर हो रहे अत्याचारों की एक अंतहीन सी दास्तां दिखाई देती है। लेकिन सवाल यह है कि योगी सरकार अपनी जिम्मेदारी से कब तक भागेगी।
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