चुनाव मैदान से लेकर टीवी चैनलों पर यह बहस चल रही है कि प्रधानमंत्री नीच हैं या नीची जाति के हैं, पर क़ायदे से यह बहस होनी चाहिए थी कि क्या देश आर्थिक मंदी की चपेट में आ चुका है या आने वाला है।
बेरोज़गारी के आँकड़े के बाद अब आर्थिक मोर्चे पर मोदी सरकार के लिए एक और बुरी ख़बर है। तेल-साबुन और खाने-पीने जैसे उपभोक्ता सामान की माँग घट गयी है। एफ़एमसीजी सेक्टर की वृद्धि दर 11-12 प्रतिशत रह जाने की संभावना है।