सांख्यिकी विभाग ने जब जीडीपी 20.1 फ़ीसदी विकास दर के आँकड़े जारी किए तो एक के बाद एक सभी टीवी चैनलों पर इसे सरकार की उपलब्धि बताया जाने लगा। लेकिन क्या इसे वाक़ई सरकार की उपलब्धि माना जा सकता है?
नोबेल पुरस्कार विजेता अर्थशास्त्री अभिजीत बनर्जी ने कहा है कि कोरोना की संभावित तीसरी लहर जीडीपी पर प्रतिकूल प्रभाव डाल सकती है। उन्होंने कहा है कि भारत की विकास दर 7 प्रतिशत तक जा सकती है।
आर्थिक मोर्चे पर ख़ुशख़बरी है। देश का जीडीपी लगातार दो तिमाही में सिकुड़ने के बाद अब तीसरी तिमाही में जीडीपी विकास दर सकारात्मक हो गई है। सरकार की ओर से जारी अक्टूबर-दिसंबर में यह विकास दर 0.4 फ़ीसदी रही है।
अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष यानी आईएमएफ़ ने अपने अनुमान में कहा है कि भारत की अर्थव्यवस्था और ज़्यादा सिकुड़ेगी। इसका अनुमान है कि मार्च 2021 में ख़त्म होने वाले इस वित्त वर्ष में जीडीपी 10.3 फ़ीसदी सिकुड़ जाएगी।
देश की अर्थव्यवस्था 2021 की पहली तिमाही में क़रीब एक चौथाई माइनस में है पर देश की किसानी प्लस में है । इसी दौर में कृषि उत्पादन का निर्यात भी क़रीब २४ फ़ीसदी बढ़ा है । पूर्व केंद्रीय कृषि मंत्री सोमपाल शास्त्री से इसकी वजह पूछ रहे हैं शीतल पी सिंह। Satya Hindi
दिल्ली दंगे के बीच रिपोर्ट आई है कि आख़िरी तिमाही में विकास दर 4.71 फ़ीसदी ही है। जीडीपी वृद्धि दर आख़िर इतनी कम क्यों है? तो क्या सरकार की आर्थिक नाकामी को छुपाने की कोशिश की जा रही है? आख़िर आँकड़ों से छेड़छाड़ की ख़बरें क्यों आई थीं?
केंद्र सरकार की एजेंसी सेंट्रल स्टैटिस्टिक्स ऑफ़िस ने कहा है कि जीडीपी वृद्धि दर इस साल 5 प्रतिशत रहेगी, यानी सरकार मान रही है कि अर्थव्यवस्था ठीक नहीं है।