आख़िर वह कौन सा फ़ार्मूला है, जिस अपना कर विपक्ष ने बीजेपी को झारखंड में पटकनी दे दी? अजेय मानी जाने वाली बीजेपी को किस तरह और किन कारणों से विपक्ष ने हरा दिया? सत्य हिन्दी के विशेष कार्यक्रम 'आशुतोष की बात' में सुनिए वरिष्ठ पत्रकार आशुतोष का विश्लेषण।
बीजेपी झारखंड का चुनाव क्या इस वजह से हार गई कि मुख्यमंत्री रघुबर दास की कार्यशैली तानाशाहों जैसी थी या इस वजह से कि केंद्रीय नेतृत्व जल-ज़मीन-जंगल के मुद्दे नहीं उठा पाई?
इसे क्या माना जाए? क्या उग्र हिन्दुत्व की हार है? क्या यह मोदी-शाह की आक्रामक राजनीति की हार है? क्या यह बताता है कि बीजेपी लोगों से जुड़े मुद्दे नहीं उठा पाई?
इंडिया टुडे-एक्सिस माइ इंडिया का सर्वे का अनुमान है कि झारखंड में विपक्षी गठबंधन को 38-50 सीटें मिल सकती हैं, जबकि सत्तारूढ़ बीजेपी को 22-32 सीटों पर संतोष करना पड़ सकता है।
खनिजों से भरी ज़मीन से अमीर झारखंड के लोग बेहद ग़रीब हैं। जहाँ ग़रीबी का राष्ट्रीय औसत 28 फ़ीसदी है वहाँ झारखंड में यह 46 फ़ीसदी है। नया निवेश आया नहीं और पुराने में मंदी है। राम मंदिर, धारा 370 और एनआरसी के भरोसे बीजेपी चुनावी मैदान में है। बीजेपी का क्या होगा हाल? सत्य हिंदी पर देखिए 'शीतल के सवाल'।
पहले से ही आर्थिक मोर्चे पर और महाराष्ट्र में फ़ज़ीहत से ख़राब दौर से गुज़र रही बीजेपी के लिए झारखंड चुनाव में क्या प्याज की बढ़ती क़ीमतें बड़ा नुक़सान करेंगी?