उत्तर प्रदेश में चार चरणों में होने वाले पंचायत चुनावों में वैसे तो बीजेपी, सपा, बसपा और कांग्रेस ने पूरी ताक़त लगा रखी है पर सबसे ज़्यादा हलचल दोनों राष्ट्रीय राजनीतिक दलों के खेमों में नज़र आ रही है।
किसान आंदोलन के चलते उत्तर प्रदेश में ख़ुद को अपराजेय मान रही योगी सरकार के पसीने छूट रहे हैं। किसान आक्रोश की आँच पश्चिम से चल कर पूर्व तक आ पहुँचने के बाद अब यूपी सरकार के लिए पंचायत चुनाव गले की हड्डी बन गया है।
उत्तर प्रदेश में विधान परिषद के शिक्षक निर्वाचन क्षेत्र और स्नातक निर्वाचन क्षेत्र की 11 सीटों पर हुए चुनावों में बीजेपी को प्रधानमंत्री मोदी के चुनाव क्षेत्र वाराणसी में मुँह की खानी पड़ी है। वाराणसी में शिक्षक व स्नातक दोनों सीटों पर बीजेपी के प्रत्याशी हार गए हैं।
योगी सरकार की एसआईटी जाँच में ‘लव जिहाद’ की साज़िश का आरोप औंधे मुँह गिर गया है। पुलिस अधिकारियों के मुताबिक़ लव जिहाद के मामले को कुछ ज़्यादा ही बढ़ा-चढ़ा कर प्रचारित किया गया जबकि कुछ ख़ास निकला नहीं।
सरकारी तंत्र का दावा है कि बहुसंख्यक समाज में फूट डालने के लिए मुसलिम देशों और इसलामिक कट्टरपंथी संगठनों से पैसा आया था। हालांकि पैसा आने का कोई सुबूत पेश नहीं किया गया है।
हाथरस में मंगलवार देर रात ढाई बजे बिना घरवालों की मौजूदगी के पुलिस ने ही अंतिम संस्कार कर डाला। पीड़िता के परिजनों ने बुधवार सुबह आरोप लगाया कि पुलिस ने उनके साथ बर्बरता की और बेटी का चेहरा तक नहीं देखने दिया।
कांग्रेस संगठन में बदलाव, चुनाव की माँग और कई अन्य परिवर्तनों पर 23 वरिष्ठ नेताओं को अपेक्षा के अनुरूप उत्तर प्रदेश में समर्थन नहीं मिला। ग़ुलाम नबी आज़ाद को पार्टी से निकालने की माँग क्यों की जा रही है?
गोरखपुर के विधायक राधामोहन अग्रवाल को सरकार की आलोचना करने पर बीजेपी ने नोटिस थमाया है। रविकिशन ने तो उन्हें पार्टी छोड़ देने को कहा है। अग्रवाल ने जवाब में कहा है कि वो अभिमन्यू नहीं अर्जुन हैं।