उत्तर प्रदेश की हाई-प्रोफ़ाइल सीटों में से एक लखनऊ का हाल भी कुछ-कुछ बनारस जैसा हो गया है। तमाम दावों के बाद भी राजधानी लखनऊ से राजनाथ सिंह के मुक़ाबले कोई नामचीन हस्ती क्यों नहीं उतरी?
उत्तर प्रदेश में कांग्रेस की डूबती नाव को बचाने मैदान में उतरी प्रियंका गाँधी कम से कम बनारस में मोदी से दो-दो हाथ नहीं करेंगी। अगले दो-तीन दिनों में पार्टी इसका एलान भी कर देगी। तो क्या कांग्रेस डर गई?
यूपी के जातीय चक्रव्यूह में फँसी बीजेपी के लिए सहारा ग़ैर-यादव पिछड़े और ग़ैर-जाटव दलित नज़र आ रहे हैं। हालाँकि इस बिरादरी के चेहरे इस बार या तो नज़र नहीं आ रहे या उन्हें तवज्जो तक नहीं मिल रही।