अमित शाह ने 300 सीटों से ज़्यादा जीतने का दावा किया है। लेकिन पहले के चुनावों के आँकड़े तो तसवीर कुछ अलग ही पेश करते हैं। ये आँकड़े अमित शाह के दावे के विपरीत कहानी कहते हैं।
आज अनुकूल मौसम दिखाई पड़ रहा है, लेकिन तीसरे मोर्चे की नींव नहीं पड़ती दिख रही। इसमें सवाल यह उठ रहे हैं कि क्या तीसरा मोर्चा या फ़ेडरल फ़्रंट अब इस दौर की राजनीति में प्रासंगिक नहीं रहे?
12 मई यानी रविवार को छठे चरण का मतदान हुआ। इसी दौरान सातवें चरण के चुनाव प्रचार में मोदी ने कई बातें कहीं। उनकी बातों से सवाल उठता है कि क्या आत्ममुग्ध हैं मोदी जी? इस मुद्दे पर देखिये वरिष्ठ पत्रकार शीतल पी सिंह का विश्लेषण।
पाँच चरण का मतदान पूरा हो चुका है और अब दो चरण बाक़ी है। क्या मोदी फिर बनेंगे प्रधानमंत्री? देखिये वरिष्ठ पत्रकार अमिताभ, रवि आंबेकर और आशुतोष की चर्चा।
देश के 50 प्रतिशत हिन्दू मतदाताओं का ध्रुवीकरण कर 50 साल तक सत्ता में बने रहने का अमित शाह और नरेंद्र मोदी का फ़ॉर्मूला कोई नया नहीं है। लेकिन क्या यह फ़ेल नहीं हो गया है?
बीजेपी लोकसभा चुनाव जीतने के हर हथकंडे आजमा रही है, जिसमें से एक पिछड़े वर्ग को विभाजित कर उसके एक तबक़े का वोट खींचना भी शामिल है। तो क्या इन जातियों को वह खींच पाएगी?
चुनाव बाद यदि एनडीए ज़रूरी आँकड़े जुटा भी लेती है तो क्या नरेंद्र मोदी दुबारा प्रधानमंत्री नहीं बनेंगे? यह सवाल इसलिए कि प्रधानमंत्री पद के लिए बार-बार नितिन गडकरी का नाम उछलता रहा है।
नरेंद्र मोदी की महाकाय शख़्सियत के इर्द-गिर्द व्यक्ति केंद्रित प्रचार इस चुनाव की सबसे बड़ी कहानी है और इससे यह लगता है कि कोई और मुद्दा या उम्मीदवार चुनाव मैदान में है ही नहीं।