महाराष्ट्र में हुए मंत्रिमंडल विस्तार से शिवसेना, एनसीपी और कांग्रेस के कुछ नेता ख़ुश नहीं दिखाई दे रहे हैं। लेकिन क्या इससे सरकार की स्थिरता को कोई ख़तरा होगा?
महाराष्ट्र की शिवसेना-एनसीपी-कांग्रेस सरकार के मंत्रिमंडल विस्तार में राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी से बग़ावत कर बीजेपी को समर्थन देने वाले अजीत पवार को उप मुख्यमंत्री पद की शपथ दिलाई गई है।
क्या प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की बुलेट ट्रेन की महत्वाकांक्षी परियोजना पर ब्रेक लग गया है? सत्ता परिवर्तन के बाद महाराष्ट्र सरकार क्यों पीछे हटती दिख रही है?
बीजेपी ने पहले विधानसभा के स्पीकर पद पर जोर-शोर से दावेदारी की लेकिन शायद उसे समझ में आ गया कि अगर चुनाव हुआ तो उसे क़रारी हार मिलेगी। इसीलिए उसने अपने प्रत्याशी का नाम वापस ले लिया।
शपथ ग्रहण के तुरंत बाद महाराष्ट्र सरकार ने अपनी पहली कैबिनेट बैठक बुलाई। कैबिनेट की बैठक के बाद उद्धव ठाकरे ने कहा कि महा विकास अघाड़ी की सरकार आम आदमी के लिए काम करेगी।
विरोधी विचारधाराओं के गठजोड़ से बनी उद्धव सरकार कितने दिन तक चल पाएगी? शिवसेना हिंदूवादी है तो एनसीपी और कांग्रेस धर्मनिरपेक्ष। क्या न्यूनतम साझा कार्यक्रम से यह खाई पट जाएगी? कहीं इसका भी हश्र कर्नाटक सरकार की तरह तो नहीं हो जाएगी? सत्य हिंदी पर देखिए शैलेश की रिपोर्ट।
शिवसेना, एनसीपी और कांग्रेस ने न्यूनतम साझा कार्यक्रम (सीएमपी) जारी कर दिया है। इसमें सेक्युलर शब्द पर जोर दिया गया है। इसके अलावा किसानों को राहत देने पर भी फ़ोकस है।