क्या सेना की शहादत या सेना के शौर्य का चुनावी रैली में किसी भी तरह का राजनीतिक इस्तेमाल सही हो सकता है? प्रधानमंत्री चुनावी रैली में जो कर रहे हैं उस पर आख़िर सवाल क्यों खड़े हो रहे हैं?
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी आख़िर एक साल में भी किसानों को क्यों नहीं समझा पाए? वह भी तब जब वार्ता से लेकर लाठीचार्ज तक का सहारा लिया गया, सड़कें खोदी गईं, दीवार खड़ी की गई। आख़िर कहां कमी रह गई?
जानी-मानी लेखिका अरुंधति रॉय की नयी क़िताब 'आज़ादी' आई है। यह 2018 से लेकर 2020 तक लिखे गए उनके लेखों या दिए गए व्याख्यानों का संकलन है। पढ़िए इसकी समीक्षा कि इसमें आख़िर क्या ख़ास है।
ममता बनेंगी विपक्ष की नेता? पेगासस मामले में विपक्ष हमलावर, राहुल ने कहा लोकतंत्र की आत्मा पर हमला। मोदी ने अपने ख़ास अस्थाना को बनाया दिल्ली पुलिस आयुक्त तो उठे सवाल। दिनकी बड़ी ख़बरों का विश्लेषण-
उत्तरप्रदेश में विभिन्न दले कहाँ खड़े हैं? बीजेपी क्या रणनीति बना रही है और बाक़ी दल क्या कर रहे हैं? जाने-माने राजनीतिक विश्लेषक अभय कुमार दुबे के साथ डॉ. मुकेश कुमार की बातचीत-
असम के विख्यात आंदोलनकारी और विधायक अखिल गोगोई को एनआईए की विशेष अदालत द्वारा यूएपीए (ग़ैर क़ानूनी गतिविधि रोकथाम अधिनियम) के एक मामले से मुक्त किया जाना बताता है कि उन्हें बदनीयत से फँसाया गया था।
गुजरात में दलित युवक को इसलिए बुरी तरह से मारा गया क्योंकि उसकी मूंछें दबंग जातियों के अहंकार को ठेस पहुंचाती थीं। क्या है ये प्रवृत्ति, दलितों की आज़ादी किन्हें खटकती है?
मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी के महासचिव सीताराम येचुरी का कहना है कि अगर 2024 में चुनाव साफ़-सुथरे ढंग से हुए तो मोदी नहीं जीतेंगे। उनका कहना है कि जनता विपक्ष तैयार कर रही है और विपक्षी दल भी एकजुट हो रहे हैं।
इस्रायल और हमास के बीच युद्ध विराम की घोषणा हो गई है, मगर क्या वह टिक पाएगा और क्या ये स्थायी शांति का रास्ता खोल पाएगा? वैल अव्वाद, फ़िरोज़ मीठीबोरवाला, शीबा असलम फ़हमी
जो लोग फ़लिस्तीनियों के स्वतंत्र राष्ट्र के संघर्ष में दिलचस्पी रखते हैं और उस पर नज़र रखे हुए हैं, उन्हें लग रहा होगा कि जैसे पश्चिम एशिया में एक बार फिर से इतिहास दोहराया जा रहा है।