बीजेपी नेता मनोज सिन्हा जम्मू-कश्मीर के नए उपराज्यपाल बनाए गए हैं। मगर सवाल उठता है कि जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और उनके सिपहसालारों के पास कोई स्पष्ट रोड मैप नहीं है तो वे क्या कर पाएँगे? वरिष्ठ पत्रकार मुकेश कुमार की रिपोर्ट
राम मंदिर के शिलान्यास कार्यक्रम के बाद एक बार फिर से ये माहौल बन गया है मानो अब हिंदुत्ववादी राजनीति ही अब हावी रहेगी और विपक्ष को उसके सुर में सुर मिलाना होगा। लेकिन क्या इसमें कुछ सचाई है, क्या विपक्षी दलों के पास कोई विकल्प नहीं बचा है ? पेश है वरिष्ठ पत्रकार उर्मिलेश से मुकेश कुमार की बातचीत
अयोध्या में भूमि पूजन के बाद की राजनीति की दिशा और दशा क्या होगी? क्या इससे हिंदूत्ववादी राजनीति और भी आक्रामक होगी और होगी तो उसकी प्रतिक्रिया क्या होगी?
जम्मू-कश्मीर से धारा 370 और 35 ए हटाए जाने को एक साल बीत गया है। इस एक साल में ये राज्य कितना बदला है? अवाम कितना खुश हैं? और क्या वे वादे पूरे होते दिख रहे हैं जो इन धाराओं को हटाते वक़्त किए गए थे? वरिष्ठ पत्रकार मुकेश कुमार ने कश्मीर टाइम्स की एक्ज़ीक्यूटिव एडिटर अनुराधा भसीन से इन्हीं सब सवालों पर बात की। पेश है बातचीत के महत्वपूर्ण अंश
धारा 370 हटाए जाने के बाद कश्मीर के हालात कितने बदले हैं, वहाँ के अवाम क्या सोच रहे हैं, वे नाउम्मीद हैं या उन्हें इसे अँधेरे में उम्मीद की कोई रौशनी दिखलाई दे रही है। पेश है वरिष्ठ पत्रकार मुकेश कुमार की श्रीनगर स्थित वरिष्ठ पत्रकार हारुन रेशी से बेबाक बातचीत।
भारतीय राजनीति के एक दिलचस्प किरदार अमर सिंह को किसलिए जाना जाएगा... उन्होंने राजनीति को क्या दिया है.... वे ऐसा क्या कर गए हैं जिसकी एक स्थायी छाप भारतीय राजनीति पर हमेशा देखी जाती रहेगी और उसे देखकर उनको याद किया जाता रहेगा। वरिष्ठ पत्रकार मुकेश कुमार की रिपोर्ट
क़रीब ढाई सौ जाने माने नेता, पत्रकार और बुद्धिजीवियों ने मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल से दिल्ली दंगों की निष्पक्ष जाँच करवाने की माँग की है। लेकिन केंद्र सरकार के रुख़ को देखते हुए क्या यह मुमकिन हो पाएगी? मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी की वरिष्ठ नेता बृंदा कारत से वरिष्ठ पत्रकार मुकेश कुमार ने बातचीत की। पेश हैं उसके अंश।
हालाँकि अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प चुनाव टालने की इच्छा ज़ाहिर करने के बाद फँस गए हैं और बहाने बनाने लगे हैं, मगर ये स्पष्ट हो गया है कि वे अपनी जीत के प्रति आश्वस्त नहीं हैं। तो क्या हार के डर से वे चुनाव आगे बढ़ाना चाहते थे और क्या ऐसा करके वे अपनी जीत सुनिश्चित कर सकते हैं? वरिष्ठ पत्रकार मुकेश कुमार की रिपोर्ट
दिल्ली विश्वविद्यालय के प्रोफेसर हैनी बाबू की गिरफ़्तारी से बौद्धिक एवं सांस्कृतिक जगत में ज़बर्दस्त गुस्सा है। उसने इसे बुद्धिजीवियों को कुचलने के सिलसिले की नई कड़ी बताया है। आख़िर सरकार ने क्यों हैनी बाबू को गिरफ़्तार किया है, क्या है उनका कसूर? वरिष्ठ पत्रकार मुकेश कुमार की रिपोर्ट।