पीड़िता के पक्ष में बने माहौल की काट के लिए अब अभियुक्तों के पक्ष में अभियान शुरू कर दिया गया है, जिसका नतीजा है फर्ज़ी वीडियो और फेक न्यूज़ की बाढ़। लेकिन इसके पीछे किसका हाथ है? वरिष्ठ पत्रकार मुकेश कुमार की रिपोर्ट-
चिराग़ दलित मतदाताओं के दम पर जेडीयू के वोट काटने तक खुद को सीमित नहीं रख रहे हैं। वे बीजेपी के बाग़ी नेताओं को टिकट देकर नीतीश की चुनावी संभावनाओं को गहरा धक्का देने की तैयारी कर चुके हैं। वरिष्ठ पत्रकार मुकेश कुमार की रिपोर्ट
ये सवाल पिछले दो साल से पूछा जा रहा है कि क्या बीजेपी अब नीतीश को कूड़ेदान में फेंक देगी, मगर प्रेक्षकों का मत है कि अब इसका जवाब मिल गया है। बीजेपी ने चुनाव बाद नीतीश को दरकिनार करने के लिए बिसात बिछा दी है। वरिष्ठ पत्रकार मुकेश कुमार की रिपोर्ट।
ये सवाल कितना जायज़ है कि दूसरे राज्यों में होने वाले बलात्कार पर वैसा हंगामा क्यों नहीं हो रहा जैसा हाथरस काँड को लेकर किया जा रहा है? इसके पीछे यूपी सरकार को लेकर कोई पूर्वाग्रह है या फिर इस तर्क को ध्यान बँटाने के लिए इस्तेमाल किया जा रहा है? वरिष्ठ पत्रकार मुकेश कुमार की रिपोर्ट।Satya Hindi
हाथरस के बलात्कार कांड को योगी सरकार ने जिस तरह से लिया उससे कई सवाल खड़े हो गए हैं, मगर पहले भी ऐसे मामले हुए हैं, जो बताते हैं कि वह कानून से बाहर जाकर काम करने से भी परहेज़ नहीं करती। वरिष्ठ पत्रकार मुकेश कुमार की रिपोर्ट। Satya Hindi
बाबरी मसजिद विध्वंस में अदालत द्वारा साज़िश के आरोपों से बरी किए जाने के बाद लाल कृष्ण आडवाणी ख़ुश हैं कि वह दोषमुक्त हो गए हैं, लेकिन क्या वह ख़ुद को दोषमुक्त मानते होंगे? वरिष्ठ पत्रकार मुकेश कुमार खुला ख़त लिखकर उठा रहे हैं सवाल।
विपक्ष बिखरा हुआ है और एनडीए के पास धनबल, बाहुबल यानी हर तरह की ताक़त है। तो क्या मान लिया जाए कि बिहार में उसकी जीत तय है या फिर मतदाता कुछ और ग़ुल खिला सकता है। वरिष्ठ पत्रकार मुकेश कुमार की रिपोर्ट।