उत्तरप्रदेश की योगी सरकार मुज़फ्फरनगर दंगों के आरोपियों को क्यों मुक्त करना चाहती है? इसका दंगा पीड़ितों में क्या संदेश जाएगा? क्या वह चुनावी लाभ के लिए ऐसा करने जा रही है? मुकेश कुमार के साथ चर्चा में शामिल हैं- शरत् प्रधान, शीतल पी. सिंह, शीबा असलम फ़हमी, सिद्धार्थ कलहंस और ड़ॉ. रविकांत-
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मुज़फ़्फ़रनगर दंगे में गैंगरेप के किसी आरोपी को भी सज़ा नहीं हुई। आख़िर क्यों एक के बाद एक गवाह और पुलिस अधिकारी मुकरते गए, पीड़ितों को डराने-धमकाए जाने का आरोप लगते रहे और सभी आरोपी बरी हो गए?
क्या 2013 की मुज़फ़्फ़रनगर हिंसा में पीड़ित लोगों को न्याय मिला? और यदि मिला तो कितना मिला? 2017 के बाद से मुज़फ़्फ़रनगर की अदालतों ने दंगों से जुड़े 41 मामलों में फ़ैसले सुनाए हैं। इनमें से 40 मामलों में सभी आरोपियों को बरी कर दिया गया है। क्यों हुआ ऐसा?
इंडियन एक्सप्रेस अख़बार में खबर आई है कि मुज़फ़्फ़रनगर दंगों के 41 में से 40 मामलों में सभी अभियुक्तों को छोड़ दिया गया है। अख़बार ने इसमें पड़ताल की है और उसको हत्या के 10 मामलों में कई ख़ामियां नज़र आई हैं। सत्य हिंदी न्यूज़