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मुज़फ्फर नगर दंगा: बीजेपी विधायकों पर दर्ज केस वापस लेगी योगी सरकार

2014 के लोकसभा चुनाव से पहले सांप्रदायिक दंगों की आग में झुलस चुके पश्चिमी उत्तर प्रदेश के पीड़ितों को अब तक इंसाफ़ भले ही नहीं मिला हो लेकिन इसमें अभियुक्त बीजेपी नेताओं के ख़िलाफ़ दर्ज मुक़दमे वापस लिए जाने की तैयारी है। योगी सरकार ने बीजेपी के तीन विधायकों के ख़िलाफ़ दर्ज मुक़दमों को वापस लेने के लिए अदालत में याचिका दायर की है। 

इन सभी नेताओं पर 7 सितंबर, 2013 को मुज़फ्फर नगर के नंगला मंडोर गांव के इंटर कॉलेज में हुई जाट महापंचायत में भड़काऊ भाषण देने का आरोप है। 

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इन विधायकों में मेरठ से विधायक संगीत सोम, शामली की थाना भवन सीट से विधायक सुरेश राणा और मुज़फ्फर नगर सदर सीट से विधायक कपिल देव के अलावा हिंदूवादी नेता साध्वी प्राची का भी नाम इस मामले में शामिल है। इनके ख़िलाफ़ ये मुक़दमा शिखेड़ा पुलिस स्टेशन में दर्ज हुआ था। 

भड़काऊ भाषण के अलावा बीजेपी नेताओं पर नियमों का उल्लंघन करने, आगजनी में शामिल होने का भी आरोप है। यह भी आरोप था कि इन्होंने बिना शासन की अनुमति के महापंचायत बुलाई। इनके ख़िलाफ़ आईपीसी की कई धाराओं में मुक़दमा दर्ज किया गया था। इनके ख़िलाफ़ यह मुक़दमा शिखेड़ा पुलिस थाने के एसएचओ चरण सिंह यादव ने 7 सितंबर, 2013 को दर्ज कराया था। 

दंगों के बाद हुए 2014 के लोकसभा चुनाव में बीजेपी को जबरदस्त सफलता मिली थी और हिंदू मतों के ध्रुवीकरण के कारण पश्चिमी उत्तर प्रदेश में राष्ट्रीय लोक दल का सफाया हो गया था। ध्रुवीकरण का असर पूरे उत्तर प्रदेश में भी दिखा था।

मुज़फ्फर नगर से गवर्नमेंट काउंसेल राजीव शर्मा ने ‘द इंडियन एक्सप्रेस’ को बताया कि योगी सरकार ने इस मामले में मुक़दमा वापस लेने से संबंधित याचिका अदालत में दे दी है और अभी मामला लंबित है। 

जाट समुदाय की महापंचायत 27 अगस्त, 2013 को कवाल गांव में मुसलिमों की भीड़ के द्वारा मारे गए सचिन और गौरव के मामले में बुलाई गई थी। इससे पहले इन दोनों ने शाहनवाज़ क़ुरैशी नाम के शख़्स की हत्या कर दी थी। 

जाट समुदाय की महापंचायत से लौट रहे लोगों पर हमला हुआ था। इसके बाद दंगे शुरू हुए थे, जो मुज़फ्फर नगर और इसके आस-पास के जिलों में फैल गए थे। इन दंगों में 62 लोगों की मौत हो गई थी और 50 हज़ार से ज़्यादा लोगों को बेघर होना पड़ा था।

सोम के ख़िलाफ़ हैं कई मामले 

संगीत सोम के ख़िलाफ़ सहारनपुर के देवबंद, मुज़फ्फर नगर के खतौली, कोतवाली, सिखेड़ा, मेरठ के सरधना तथा गौतमबुद्ध नगर के थाना बिसाहड़ा में भी मामले दर्ज हैं। मुज़फ्फर नगर में 2013 में विवादित वीडियो को प्रसारित करने को लेकर संगीत सोम पर आईटी एक्ट के तहत भी मुक़दमा दर्ज किया गया था जबकि सहारनपुर के मिरकपुर में पंचायत को संबोधित करते हुए भड़काऊ बातें करने का भी मुक़दमा दर्ज है। सोम का कहना है कि उन पर ज़्यादातर मुक़दमे राजनीतिक कारणों से दर्ज हैं। 

UP government seeks cases withdraw in muzaffarnagar riots 2013  - Satya Hindi

योगी से मिले थे बालियान

फ़रवरी, 2018 में केंद्रीय मंत्री संजीव बालियान की अगुवाई में एक प्रतिनिधिमंडल ने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से मिलकर मुज़फ्फर नगर दंगों के मामले में हिंदुओं के ख़िलाफ़ दर्ज मुक़दमे वापस लेने की अपील की थी। इसके बाद राज्य सरकार ने इस मामले में मुज़फ्फर नगर और शामली जिले के प्रशासन को पत्र भेजकर प्रक्रिया शुरू की थी। सरकार ने मुक़दमों की वापसी को लेकर जिलाधिकारी, एसपी की राय मांगी थी। 

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इससे पहले प्रदेश सरकार पिछले साल मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ पर दर्ज बलवा और धमकी देने के दो मुक़दमे वापस ले चुकी है। इलाहाबाद से बीजेपी के विधायक रहे उदयभान करवरिया पर से आपराधिक मुक़दमे वापस लेने को लेकर उच्च न्यायालय ने आपत्ति जतायी थी। 

बीजेपी नेताओं, साध्वी प्राची पर दर्ज मुक़दमों को वापस लेने के लिए अदालत में याचिका दायर करने से पता चलता है कि योगी सरकार मुज़फ्फरनगर के दंगों के अभियुक्तों को सजा दिलाने के लिए गंभीर नहीं है। 

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क़मर वहीद नक़वी

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