आम्बेडकर ने क्यों लिखा था कि मुझे लगता है कि हमें कश्मीर के बजाय पूर्वी बंगाल पर ज़्यादा ध्यान देना चाहिए, जिसके बारे में हमें अख़बारों से पता चल रहा है कि वहाँ हमारे लोग बहुत ख़राब परिस्थितियों में रहे हैं?
न्यायालयों की भर्ती प्रक्रिया में विसंगतियों को लेकर एक बार फिर चर्चा हो रही है। न्यायमूर्ति रंगनाथ पांडेय ने इस संबंध में प्रधानमंत्री मोदी को पत्र लिखा है।
नौकरियों में आरक्षण को लेकर विवाद नरेंद्र मोदी सरकार बनने के बाद नया नहीं है। उत्तर प्रदेश उच्चतर शिक्षा सेवा आयोग में असिस्टेंट प्रोफ़ेसरों की नियुक्ति में भी आरक्षित पदों संबंधी गड़बड़ियाँ खुलकर सामने आई हैं।
केंद्र सरकार ने फ़ैसला किया है कि वह नौकरशाही में बाहर के क्षेत्रों से जानकारों को लाएगी। इसके लिए नई प्रणाली लागू की गई है। इसे लैटरल एंट्री का नाम दिया गया है।
बीजेपी लोकसभा चुनाव जीतने के हर हथकंडे आजमा रही है, जिसमें से एक पिछड़े वर्ग को विभाजित कर उसके एक तबक़े का वोट खींचना भी शामिल है। तो क्या इन जातियों को वह खींच पाएगी?
आख़िरी दो चरणों में उत्तर प्रदेश के जिन क्षेत्रों में चुनाव होने जा रहे हैं वे औद्योगिक रूप से पिछड़े हुए हैं। गोरखपुर में अब हथकरघा, खादी, शहद उत्पादन, चमड़े का कारोबार कहीं नज़र नहीं आता है। क्या ये चुनावी मुद्दे बनेंगे?