केंद्र सरकार ने नियम- क़ानूनों की अवहेलना की और अपनी ही स्वायत्त संस्था की सिफ़ारिशों की जानबूझ कर अनदेखी की ताकि रामदेव के पतंजलि योगपीठ ट्रस्ट को निजी परीक्षा बोर्ड की स्थापना करने का मौका दिया जा सके।
छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर में पुलिस ने योग गुरु रामदेव के ख़िलाफ़ एफ़आईआर दर्ज की है। कोरोना इलाज में इस्तेमाल किए जाने वाली दवाओं के ख़िलाफ़ झूठी जानकारी फैलाने का आरोप रामदेव पर लगाया गया है।
बाबा रामदेव अपने बयानों को लेकर आजकल फिर सुर्खियों में हैं। कोरोना महामारी में हो रही मौतों के लिए एलोपैथ और डॉक्टरों को जिम्मेदार ठहराने वाले बाबा की जुबान थमने का नाम नहीं ले रही है।
रामदेव ने एलोपैथिक पद्धति को दिवालिया साइंस बताया तो विरोधी विचार रखने वालों को देशद्रोही बताने वाली ट्रोल आर्मी ने इसे फिर से धर्म से जोड़ दिया और सोशल मीडिया पर इसे सनातन या हिंदुत्व बनाम ईसाईयत से जोड़कर नया रंग दे दिया।
केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री हर्षवर्द्धन ने योग गुरु रामदेव को एक कड़ी चिट्ठी लिख कर फटकार लगाई है और एलौपैथी डॉक्टरों पर दिए गए बयान को वापस लेने को कहा है।
योग गुरु रामदेव फिर विवादों में हैं। इस बार उन्होंने कथित तौर पर एलोपैथी को स्टूपिड और दिवालिया साइंस कहा है। सोशल मीडिया पर उनका बयान वायरल हुआ तो इंडियन मेडिकल एसोसिएशन यानी आईएमए ने कार्रवाई की मांग की है।
कोरोनिल पर अब विवाद इसके सर्टिफिकेट और दावों पर हुआ है। 19 फ़रवरी को ही केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री हर्षवर्धन और केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी की मौजूदगी में कई दावे किए गए थे।
स्वास्थ्य मंत्री डॉक्टर हर्षवर्द्धन और परिवहन मंत्री नितिन गडकरी की मौजूदगी में प्रेस कॉन्फ्रेंस कर रामदेव व कंपनी से जुड़े अधिकारी बाल कृष्ण ने दवा की खोज का दावा किया, लेकिन इस कथित दवा के पैकेट पर उसे ‘सपोर्टिंग मेज़र’ कहा गया है, दवा नहीं।