योग गुरु रामदेव फिर विवादों में हैं। इस बार उन्होंने कथित तौर पर एलोपैथी को स्टूपिड और दिवालिया साइंस कहा है। सोशल मीडिया पर उनके बयान वाला एक वीडियो वायरल हुआ तो इंडियन मेडिकल एसोसिएशन यानी आईएमए ने मांग है कि 'केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री या तो आरोप स्वीकार करें और आधुनिक चिकित्सा सुविधा को भंग करें या उन पर मुक़दमा चलाएँ और उन पर महामारी रोग अधिनियम के तहत मामला दर्ज करें।' हालाँकि इस पर स्वास्थ्य मंत्री की ओर से अब तक कोई प्रतिक्रिया नहीं आई है, लेकिन रामदेव के पतंजलि ग्रुप ने कहा है कि वीडियो से छेड़छाड़ की गई है और उनके बयान को संदर्भ से हटाकर पेश किया गया है।
रामदेव ने फ़ेसबुक एकाउंट पर भी उस वीडियो को शेयर किया है, लेकिन पहले यह जान लें कि सोशल मीडिया पर क्या शेयर किया जा रहा है। एक डॉक्टर सुभाश्री रे ने एक वीडियो शेयर करते हुए लिखा है, 'योग गुरु दावा कर रहे हैं कि एलोपैथी एक स्टूपिड साइंस है। यह महामारी हर रोज़ नया झटका दे रही है।'
Yoga guru claiming Allopathy as stupid science. This pandemic brings new shock every day. pic.twitter.com/1W9ojVOIGY
— Subhasree Ray (@DrSubhasree) May 21, 2021
इस वायरल वीडियो में रामदेव को यह कहते सुना जा सकता है, 'ग़जब का तमाशा है। एलोपैथी ऐसी स्टूपिड और दिवालिया साइंस है कि पहले क्लोरोक्वीन फेल हुई, फिर रेमडेसिविर फेल हो गई, फिर एंटी-बायोटिक्स इनके फ़ेल हो गए, फिर स्टेरॉइड इनके फ़ेल हो गए, प्लाज्मा थेरेपी के ऊपर भी कल बैन लग गया और इवरमाक्टिन भी फ़ेल हो गया, और फेवि फ्लू भी फ़ेल है। जितनी भी दवाएँ दे रहे हैं, तमाशा हो क्या रहा है!'
रामदेव के इस वीडियो को सोशल मीडिया पर कई लोगों ने शेयर किया। एलोपैथी के डॉक्टरों ने सोशल मीडिया पर वायरल उस वीडियो पर गंभीर आपत्ति जताई। डॉक्टरों की संस्था इंडियन मेकिकल एसोसिएशन यानी आईएमए ने रामदेव को लिखित में माफ़ी मांगने को कहा है और अपना बयान वापस लेने की माँग की है। आईएमए ने कहा है कि कोरोना जैसे संकट के हालात में काम करने और लोगों की ज़िंदगियाँ बचाने वाले लोगों की छवि ऐसे बयानों से ख़राब होती है। फेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया मेडिकल एसोसिएशन ने भी रामदेव को क़ानूनी नोटिस दिया है।
डॉक्टरों, इनकी संस्था और सोशल मीडिया पर ज़बरदस्त आलोचना के बाद रामदेव के पतंजलि ग्रुप ने बयान जारी किया। पतंजलि के बयान में दावा किया गया है कि उस वीडियो को एडिट किया गया यानी छेड़छाड़ की गई और संदर्भ से अलग बयान को लिया गया। बयान में यह भी कहा गया कि रामदेव आधुनिक विज्ञान और आधुनिक चिकित्सा के अच्छे डॉक्टर के ख़िलाफ़ कोई ग़लत भावना नहीं रखते हैं।
हालाँकि पतंजलि के बयान में जो दावा किया गया है, उसकी पुष्टि रामदेव के ही फ़ेसबुक एकाउंट से ख़ुद ही तुलना की जा सकती है। सोशल मीडिया पर जो क़रीब 2.20 मिनट का वीडियो वायरल है वह रामदेव के एक उस कार्यक्रम की एक क्लिप है जिसे रामदेव ने वेरिफ़ाइड फ़ेसबुक एकाउंट पर लाइव किया था। वह लाइव कार्यक्रम 34.05 मिनट का है। इसी वीडियों में वह कोरोना संकट का ज़िक्र करते हैं और फिर एलोपैथी को लेकर बयान देते हैं। लेकिन इस बयान की शुरुआत अपने मोबाइल किसी के संदेश को पढ़कर सुनाते हैं जिसमें एलोपैथी की बुराई की गई है। इसी दौरान रामदेव एलोपैथी स्टूपिड और दिवालिया साइंस है.... की बात भी कहते हैं। लेकिन इसी बात के साथ वह अपनी ओर से भी ऐसी ही कुछ बातें कहते हैं।
वैसे, रामदेव अक्सर विवादों में रहे हैं। वह पिछली बार तब विवाद में रहे थे जब उनकी कंपनी पतंजलि ने दावा किया था कि उसने कोरोना की दवा की खोज कर ली है। उसने ट्वीट कर कहा, ‘गौरव का क्षण! कोरोना की दवा बनाने की पतंजलि के वैज्ञानिकों की कोशिशें आज कामयाब हो गईं।’
Moment of pride!!
— Patanjali Ayurved (@PypAyurved) February 19, 2021
Efforts of scientists at Patanjali to make corona medicine have been successful today#Patanjalis_EvidenceBased_Medicine4Corona #PatanjaliCoronil pic.twitter.com/qKWgKUjfch
स्वास्थ्य मंत्री डॉक्टर हर्षवर्द्धन और परिवहन मंत्री नितिन गडकरी की मौजूदगी में दिल्ली में प्रेस कॉन्फ्रेंस कर रामदेव व कंपनी से जुड़े अधिकारी बाल कृष्ण ने दवा की खोज का दावा किया था। उन्होंने यह भी दावा किया कि इस दवा को सीओपीपी-डब्लूएचओ-जीएमपी सर्टिफ़िकेट मिला हुआ है यानी, डब्ल्यूएचओ यानी विश्व स्वास्थ्य संगठन से सर्टिफ़िकेट मिला है। लेकिन बाद में डब्ल्यूएचओ ने इसका खंडन किया था।
विश्व स्वास्थ्य संगठन को यह कहते हुए एक स्पष्टीकरण जारी करना पड़ा था कि उसने 'कोरोना के उपचार के लिए किसी भी पारंपरिक दवा की प्रभावशीलता की समीक्षा नहीं की है या प्रमाणित नहीं किया है।
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