सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद भी हज़ारों करोड़ रुपये के बकाए को लेकर टेलीकॉम कंपनियों और सरकार पर सुप्रीम कोर्ट ने सख्त टिप्पणी की है। इसने कहा है कि क्या इस देश में कोई क़ानून नहीं बचा है?
मुख्य न्यायाधीश एस. ए. बोबडे को आख़िर यह क्यों कहना पड़ा कि देश संकट के दौर से गुजर रहा है? क्या इसकी वजह यह है कि नागरिकता क़ानून के मुद्दे पर स्थिति नियंत्रण से बाहर हो गई है?
वर्ष 2019 में जहाँ भारत के सर्वोच्च न्यायालय ने तमाम ऐतिहासिक फ़ैसले सुनाए वहीं कुछ ऐसी न्यायिक निष्क्रियता भी दिखी जिसने न्यायपालिका की विश्वसनीयता पर सवाल उठाये।
सुप्रीम कोर्ट ने जामिया विश्वविद्यालय में हुई पुलिसिया कार्रवाई पर सुनवाई करने से इनकार क्यों कर दिया, यह कहते हुए कि जब तक उपद्रव नहीं रुकेगा, वह सुनवाई नहीं करेगा?
सुप्रीम कोर्ट ने बाबरी मसजिद-राम जन्मभूमि मंदिर विवाद पर जो फ़ैसला दिया, वह उससे अलग कोई दूसरा फ़ैसला नहीं दे सकता था। आख़िर क्या मजबूरियाँ थीं कोर्ट की?
उच्चतम न्यायालय की 18 साल पुरानी व्यवस्था के बावजूद आज भी अक्सर कई मामलों में सुनवाई पूरी होने के बाद पक्षकारों को लंबे समय तक फ़ैसले का इंतजार रहता है।
एससी/एसटी क़ानून आज फिर वहीं खड़ा है जहाँ यह क़रीब डेढ़ साल पहले था। सुप्रीम कोर्ट ने इस क़ानून में बदलाव किया था और अब फिर से सुप्रीम कोर्ट ने ही अपने उसी फ़ैसले को पलट दिया है।
भारतीय जनता पार्टी समान नागरिक संहिता को अगला मुद्दा बना सकती है, क्योंकि सुप्रीम कोर्ट ने एक फ़ैसले में पूछा है कि इसे लागू करने पर अब तक कोई कार्रवाई क्यों नहीं की गई।
सुप्रीम कोर्ट की एक बेंच ने दूसरी बेंच के फ़ैसले पर रोक लगा दी और उसे उलट दिया। अदालत ने कड़ा रुख अपनाते हुए कहा कि यह सुप्रीम कोर्ट के साथ धोखाधड़ी है।
चुनाव आचार संहिता के ‘उल्लंघन’ के मामले में क्या अब प्रधानमंत्री मोदी के ख़िलाफ़ कार्रवाई होगी? इसकी संभावना इसलिए बनती है कि यह मामला अब सुप्रीम कोर्ट में पहुँच गया है।
वायु सेना के लिए रफ़ाल विमान ख़रीद के मामले में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सरकार साफ़ तौर पर फँसती नज़र आ रही है। सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को अपने फ़ैसले में साफ़ कर दिया है कि सरकार को राहत नहीं दी जा सकती है।