न्याय और न्यायाभास। न्यायाभास से बेहतर और सटीक होगा- इन्साफ़ का धोखा। यानी आपको जान पड़े कि इंसाफ मिल रहा है और वह कभी हाथ न आए। जो सिद्दीक़ कप्पन के साथ किया गया, उसे इन्साफ़ का मज़ाक ही कहेंगे।
‘ऑक्सीजन’ पर सुप्रीम कोर्ट ने एक फ़ैसला लिया, दिया नहीं! फ़ैसला यह है कि मोदी की केंद्रीय सरकार जिसने ऑक्सीजन के देशव्यापी वितरण के सारे हक़ अपने आपके लिए कर लिये थे, वह अपने काम को संतोषजनक ढंग से नहीं कर सकी।
कोरोना संकट के बीच देश में ऑक्सीजन की भारी किल्लत को लेकर चल रही सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने नेशनल टास्क फोर्स का गठन किया है। टास्क फोर्स में 12 सदस्य होंगे।
ऑक्सीजन आपूर्ति को लेकर केंद्र सरकार आज कर्नाटक हाई कोर्ट के एक आदेश के ख़िलाफ़ सुप्रीम कोर्ट में अपना केस हार गई। केंद्र ने कर्नाटक के लिए हर रोज़ ऑक्सीजन आवंटन को बढ़ाकर 1,200 मीट्रिक टन करने के आदेश पर रोक लगाने की मांग की थी
मेडिकल ऑक्सीजन की कमी को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने फिर से केंद्र को झटका दिया है। दो मामलों में। एक तो अदालत ने केंद्र को कहा कि वह दिल्ली को हर रोज़ 700 मिट्रिक टन मेडिकल ऑक्सीजन दे। और दूसरे कर्नाटक को भी पर्याप्त आपूर्ति करने को कहा।
कोरोना संकट के बीच मेडिकल ऑक्सीजन की कमी के लिए लगातार आलोचनाओं का सामना कर रहे केंद्र सरकार को सुप्रीम कोर्ट से गुरुवार को फिर झटका लगा है। अदालत ने कहा है कि देश में ऑक्सीजन आवंटन में पूरी तरह फेरबदल की ज़रूरत है।
सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को सामाजिक और शैक्षणिक रूप से पिछड़े वर्ग (एसईबीसी) अधिनियम, 2018 के लिए महाराष्ट्र राज्य आरक्षण को रद्द कर दिया है, जो सार्वजनिक शिक्षा और रोज़गार में मराठा समुदाय को आरक्षण देता है।
सुप्रीम कोर्ट ने मीडिया का मुँह बंद करने से साफ इनकार करते हुए कहा है कि प्रेस लोकतंत्र का पहरेदार है और अदालत में हो रही सुनवाई की खबर देने से इसे नहीं रोका जा सकता।
सुप्रीम कोर्ट ने एक अहम फ़ैसले में केंद्र सरकार से कहा है कि वह अपनी कोरोना टीका खरीद नीति पर फिर से विचार करे। अदालत ने कहा कि संवधान के अनुच्छेद 21 में निहित स्वास्थ्य के अधिकार का यह उल्लंघन है।
सुप्रीम कोर्ट ने उत्तर प्रदेश चुनाव आयोग को फटकार लगाते हुए कहा है कि यदि पंचायत चुनाव के वोटों की गिनती दो हफ़्ते बाद हुई तो आसमान नहीं गिर पडेगा। राज्य चुनाव आयोग इसके बावजूद तय समय यानी 2 मई को वोटों का गिनती कराने पर तुला हुआ है।
कोरोना के बढ़ते संकट, रोज़ाना होने वाली पहले से ज़्यादा मौतों और अव्यवस्था व अफरातफरी के बीच सुप्रीम कोर्ट ने एक बार फिर केंद्र सरकार को फटकार लगाई है और सवालों की बौछार कर दी है।
सुप्रीम कोर्ट ने कोरोना पर सुनवाई के दौरान कहा है कि इंटरनेट पर किसी भी नागरिक को अपनी तकलीफ़ों को बयान करने से न रोकें और अगर ऐसा हुआ तो उसे अदालत की अवमानना माना जायेगा।