loader

सुप्रीम कोर्ट: ऑक्सीजन सप्लाई के लिए नेशनल टास्क फ़ोर्स गठित

कोरोना संकट के बीच देश में ऑक्सीजन की भारी किल्लत को लेकर चल रही सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने नेशनल टास्क फोर्स का गठन किया है। टास्क फोर्स में 12 सदस्य होंगे। यह टास्क फोर्स राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों में ऑक्सीजन वितरण पर तो नज़र रखेगी ही, उनकी ज़रूरतों को भी देखेगी और इसके अनुसार व्यवस्था की जाएगी। देश के अलग-अलग राज्यों के विशेषज्ञों और डॉक्टरों को टास्क फोर्स में शामिल किया गया है।

आदेश जारी करते हुए जस्टिस डी वाई चंद्रचूड़ और जस्टिस एमआर शाह की पीठ ने कहा कि यह टास्क फोर्स परामर्श और सूचना के लिए केंद्र सरकार के मानव संसाधनों का इस्तेमाल करने के लिए स्वतंत्र होगी। यह काम करने के लिए अपने तौर-तरीके और प्रक्रिया तैयार करने के लिए भी स्वतंत्र होगी।

ताज़ा ख़बरें

अदालत ने कहा है कि राष्ट्रीय स्तर पर एक टास्क फोर्स का गठन करने का औचित्य यह है कि वैज्ञानिक और विशेष जानकारी के आधार पर महामारी के लिए एक सार्वजनिक स्वास्थ्य प्रतिक्रिया की सुविधा विकसित की जाए।

अपने आदेश में अदालत ने कहा कि सुनवाई के दौरान एक आम सहमति बन गई है कि यह सुनिश्चित करने की आवश्यकता है कि राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को मेडिकल ऑक्सीजन का आवंटन वैज्ञानिक, तर्कसंगत और न्यायसंगत आधार पर किया जाए। लेकिन इसके साथ ही इसमें कहा गया है कि यह लचीलापन होना चाहिए कि यदि आपात स्थितियों के कारण किसी राज्य में अप्रत्याशित मांग बढ़ गई तो उसे भी पूरा किया जाए।

अदालत ने कहा कि नेशनल टास्क फोर्स अपनी सिफारिशों को अंतिम रूप देने से पहले सहायता के लिए संबंधित क्षेत्रों के विशेषज्ञों में एक या एक से अधिक उप-समूह का गठन कर सकती है। टास्क फोर्स अपने कामकाज को आसान बनाने के लिए सरकार के भीतर या बाहर अन्य विशेषज्ञों की सहायता लेना चाहे तो ले सकती है।
कोर्ट ने यह भी कहा कि केंद्र और राज्य सरकारें आवश्यक होने पर टास्क फोर्स के काम को सुविधाजनक बनाने के लिए पूरा और रियल टाइम डाटा प्रदान करेंगी।
अदालत ने कहा, 'सभी निजी अस्पताल और अन्य स्वास्थ्य संस्थाएँ टास्क फोर्स के साथ सहयोग करेंगी। हम उम्मीद करते हैं कि देश के प्रमुख विशेषज्ञ सदस्य और संसाधन दोनों रूप में टास्क फोर्स के काम से जुड़ेंगे।' इसने यह भी कहा कि एक अभूतपूर्व मानवीय संकट से निपटने के लिए विशेषज्ञ और वैज्ञानिक रणनीतियों का सुविधा होनी चाहिए। 
supreme court sets up 12-member task force for oxygen allocation - Satya Hindi
कोरोना संकट के बीच मेडिकल ऑक्सीजन की कमी के लिए केंद्र सरकार लगातार आलोचनाओं का सामना कर रही है। कई राज्यों में ऑक्सीजन की कमी के कारण मरीज़ों की मौत के बाद यह मामला अदालत में गया। सुप्रीम कोर्ट ने दो दिन पहले ही केंद्र से कहा था कि देश में ऑक्सीजन आवंटन में पूरी तरह फेरबदल यानी सुधार करने की ज़रूरत है। इसने यह भी कहा था कि इस पूरी व्यवस्था के ऑडिट किए जाने और ज़िम्मेदारी तय किए जाने की ज़रूरत है। सुप्रीम कोर्ट ऑक्सीजन आवंटन पर सरकार की योजना को लेकर सुनवाई कर रहा था। डीवाई चंद्रचूड़ और एमआर शाह की पीठ ने कहा था कि बेड की संख्या के आधार पर केंद्र के मौजूदा फ़ॉर्मूले को पूरी तरह से बदलने की आवश्यकता है। पूरे देश में फ़िलहाल अस्पताल बेड, आईसीयू के इस्तेमाल के हिसाब से ऑक्सीजन की आपूर्ति की जाती है।
देश से और ख़बरें

जस्टिस चंद्रचूड़ ने कहा था, 'जब आपने फ़ॉर्मूला तैयार किया था तो हर कोई आईसीयू में नहीं जाना चाहता था। कई लोगों को घर में ऑक्सीजन की आवश्यकता है। केंद्र के फ़ॉर्मूले में परिवहन, एम्बुलेंस और कोरोना-देखभाल सुविधाओं को ध्यान में नहीं रखा गया है।' इसके साथ ही अदालत ने कहा था कि हमें पूरे देश के स्तर पर इस मुद्दे को देखने की ज़रूरत है और एक ऑक्सीजन ऑडिट की आवश्यकता है। अदालत ने कोरोना महामारी की तीसरी लहर की आशंका का भी ज़िक्र किया। कोर्ट ने पूछा कि जब तीसरी लहर आएगी, तो आप इससे कैसे निपटेंगे? क्या योजना है? इसके जवाब में सरकार ने कहा है कि सुप्रीम कोर्ट उसका मार्गदर्शन कर सकता है। 

सुनवाई के दौरान जस्टिस शाह ने गुरुवार को भी कहा था कि अभी हम दिल्ली को देख रहे हैं लेकिन ग्रामीण इलाक़ों का क्या? उन्होंने कहा कि आपको एक राष्ट्रीय नीति बनाने की ज़रूरत है।

supreme court sets up 12-member task force for oxygen allocation - Satya Hindi

मेडिकल ऑक्सीजन की कमी को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को केंद्र को झटका दिया था।  एक तो अदालत ने केंद्र को कहा कि वह दिल्ली को हर रोज़ 700 मिट्रिक टन मेडिकल ऑक्सीजन दे। और दूसरे कर्नाटक को ऑक्सीजन सप्लाई के हाई कोर्ट के आदेश के ख़िलाफ़ अपील में केंद्र सरकार केस हार गयी। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि हाई कोर्ट ने बिल्कुल सही आदेश दिया है कि लोगों की जान बचाने के लिए हर रोज़ 1200 मिट्रिक टन मेडिकल ऑक्सीजन दी जाए।

सत्य हिन्दी ऐप डाउनलोड करें

गोदी मीडिया और विशाल कारपोरेट मीडिया के मुक़ाबले स्वतंत्र पत्रकारिता का साथ दीजिए और उसकी ताक़त बनिए। 'सत्य हिन्दी' की सदस्यता योजना में आपका आर्थिक योगदान ऐसे नाज़ुक समय में स्वतंत्र पत्रकारिता को बहुत मज़बूती देगा। याद रखिए, लोकतंत्र तभी बचेगा, जब सच बचेगा।

नीचे दी गयी विभिन्न सदस्यता योजनाओं में से अपना चुनाव कीजिए। सभी प्रकार की सदस्यता की अवधि एक वर्ष है। सदस्यता का चुनाव करने से पहले कृपया नीचे दिये गये सदस्यता योजना के विवरण और Membership Rules & NormsCancellation & Refund Policy को ध्यान से पढ़ें। आपका भुगतान प्राप्त होने की GST Invoice और सदस्यता-पत्र हम आपको ईमेल से ही भेजेंगे। कृपया अपना नाम व ईमेल सही तरीक़े से लिखें।
सत्य अनुयायी के रूप में आप पाएंगे:
  1. सदस्यता-पत्र
  2. विशेष न्यूज़लेटर: 'सत्य हिन्दी' की चुनिंदा विशेष कवरेज की जानकारी आपको पहले से मिल जायगी। आपकी ईमेल पर समय-समय पर आपको हमारा विशेष न्यूज़लेटर भेजा जायगा, जिसमें 'सत्य हिन्दी' की विशेष कवरेज की जानकारी आपको दी जायेगी, ताकि हमारी कोई ख़ास पेशकश आपसे छूट न जाय।
  3. 'सत्य हिन्दी' के 3 webinars में भाग लेने का मुफ़्त निमंत्रण। सदस्यता तिथि से 90 दिनों के भीतर आप अपनी पसन्द के किसी 3 webinar में भाग लेने के लिए प्राथमिकता से अपना स्थान आरक्षित करा सकेंगे। 'सत्य हिन्दी' सदस्यों को आवंटन के बाद रिक्त बच गये स्थानों के लिए सामान्य पंजीकरण खोला जायगा। *कृपया ध्यान रखें कि वेबिनार के स्थान सीमित हैं और पंजीकरण के बाद यदि किसी कारण से आप वेबिनार में भाग नहीं ले पाये, तो हम उसके एवज़ में आपको अतिरिक्त अवसर नहीं दे पायेंगे।
क़मर वहीद नक़वी

अपनी राय बतायें

देश से और खबरें

ताज़ा ख़बरें

सर्वाधिक पढ़ी गयी खबरें