दैनिक भास्कर कार्यालय पर गुरुवार को आयकर छापे के बाद कल सोशल मीडिया पर दैनिक भास्कर की तो तारीफ़ हुई ही, आज अब उसी छापे की ख़बर को लेकर द टेलीग्राफ़ की तारीफ़ें हो रही हैं। आख़िर द टेलीग्राफ़ ने ऐसा क्या कर दिया?
अगर बाबुल सुप्रियो ‘द टेलीग्राफ़’ पढ़ते तो संपादक को फ़ोन ही नहीं करते। ऐसी धारदार ख़बरें छापने वाला अख़बार अगर फ़ोन करने से डरने वाला होता तो बहुत पहले डर गया होता या फिर विज्ञापन छाप रहा होता।