सुप्रीम कोर्ट के रिटायर्ड जज जस्टिस दीपक गुप्ता ने देवांगना कालिता, नताशा नरवाल और आसिफ़ इक़बाल तन्हा को ज़मानत देते हुए यूएपीए पर की गई दिल्ली हाई कोर्ट की टिप्पणी की जमकर तारीफ़ की है।
सुप्रीम कोर्ट के जज जस्टिस डी. वाई. चंद्रचूड़ ने एक कार्यक्रम में भाग लेते हुए कहा कि असहमति को कुचलने के लिए आतंकनिरोधी क़ानूनों का दुरुपयोग नहीं होना चाहिए।
क्या फ़ादर स्टैन स्वामी की मौत स्वाभाविक है? अगर फ़ादर स्टैन की गिरफ़्तारी नहीं हुई होती, वे अपने घर में होते तो क्या उनकी मौत होती? आखिर किस गुनाह के लिए वे अपने जीवन के अंतिम 217 दिन जेलों में रहे?
झारखंड के मानवाधिकार कार्यकर्ता स्टैन स्वामी का निधन पुलिस हिरासत में हो गया है। उन्हें एलगार परिषद से जुड़े होने के आरोप में गिरफ़्तार किया गया था और उन पर आतंक-निरोधी क़ानून लगाए गए थे।
आतंकवादी संगठन से जुड़े होने, उनके लिए काम करने और आतंकी गतिविधियों में शामिल होने के आरोप में 11 साल तक जेल काटने के बाद बशीर अहमद को निर्दोष क़रार दिया गया और रिहा कर दिया गया।
पिछले हफ्ते दिल्ली उच्च न्यायालय ने नताशा नरवाल, देवांगना कलिता और आसिफ इक़बाल तन्हा की ज़मानत याचिका पर कहा कि यूएपीए का उपयोग आतंकवाद की वास्तविक घटनाओं में किया जाए, सरकार विरोधी असंतोष या विरोध प्रदर्शन के मामलों में नहीं।
हम शायद महसूस नहीं कर पा रहे हैं कि संसद और विधानसभाओं की बैठकें अब उस तरह से नहीं हो रही हैं जैसे पहले कभी विपक्षी हो-हल्ले और शोर-शराबों के बीच हुआ करती थीं और अगली सुबह अख़बारों की सुर्खियों में भी दिखाई पड़ जाती थीं।
असम के विख्यात आंदोलनकारी और विधायक अखिल गोगोई को एनआईए की विशेष अदालत द्वारा यूएपीए (ग़ैर क़ानूनी गतिविधि रोकथाम अधिनियम) के एक मामले से मुक्त किया जाना बताता है कि उन्हें बदनीयत से फँसाया गया था।
नागरिकता क़ानून का विरोध करने के कारण दिल्ली पुलिस ने सफूरा के ख़िलाफ़ झूठे साक्ष्य बनाए और दिल्ली में दंगे भड़काने का आरोप लगाकर उसे हिरासत में ले लिया।
जवाहर लाल यूनिवर्सिटी (जेएनयू) के छात्र नेता उमर ख़ालिद पर दिल्ली में हुए दंगों को लेकर ग़ैर क़ानूनी गतिविधि (निरोधक) अधिनियम (यूएपीए) लगा दिया गया है।