ऑल इंडिया मुसलिम पर्सनल लॉ बोर्ड ने ईशनिंदा क़ानून यानी एंटी ब्लासफ़ेमी लॉ की माँग क्यों की है, क्या वह भारत में इसलाम पर हो रहे कथित हमलों से परेशान है?
भारत में समान नागरिक संहिता की पैरवी आज़ादी के समय से की जा रही है, लेकिन अब तक ऐसा नहीं हो पाया। मोदी सरकार भी इसके लिए प्रयास कर रही है, लेकिन क्या वह इसके लिए मुसलिमों का भरोसा जीत पाएगी?
यूनिफ़ॉर्म सिविल कोड यानी समान नागरिक संहिता से भारतीय समाज में व्याप्त धार्मिक, सांस्कृतिक और नस्लीय समस्याएँ ख़त्म होंगी या नहीं, यह बताना अभी मुश्किल है। लेकिन इतना ज़रूर है कि इस पर राजनीति शुरू होगी।
जब हिंदुओं के लिए ही एक सिविल कोड नहीं बन पाया है तो सभी समुदायों के लिए यूनिफ़ॉर्म सिविल कोड की बात क्यों? आज़ादी की लड़ने वाले नेता भी इससे सहमत नहीं थे तो आरएसएस और बीजेपी क्यों करते रहे हैं इसकी माँग? देखिए शैलेश की रिपोर्ट में इनका जवाब।
एनडीए के घटक दलों ने समान नागरिक संहिता बनाने की माँग शुरू कर दी है। बीजेपी ख़ुद अर्से से इसकी माँग करती रही है। तो क्या अब समान नागरिक संहिता की बारी है?