उत्तर प्रदेश और बिहार में जातीय राजनीति का ढाँचा बदल रहा है। जातीय समूहों की राजनीतिक महत्त्वाकांक्षा बढ़ी है। जातीय समूहों की इस बेचैनी का असर क्या आने वाले चुनाव परिणाम पर भी पड़ेगा?
प्रयागराज के मनैय्या घाट से प्रियंका गाँधी ने कांग्रेस की नाव गंगा में उतार दी है। गंगा में अपनी नाव उतारने से पहले प्रियंका ने संगम तट पर लेटे हुए हनुमान जी के दर्शन भी किए।
पिछले चुनाव में बनारस जाकर नरेन्द्र मोदी का यह कहना कि मुझे गंगा माँ ने बुलाया है! अब प्रियंका पूर्वांचल की गंगा यात्रा करेंगी। इंदिरा गाँधी ने 1978 में पूर्वांचल से वापसी की थी तो क्या प्रियंका भी वैसा ही कमाल कर पाएँगी?
वैचारिक विचारधारा से इतर जातियों की गिनती कर अपनी पार्टी से जोड़ने का यह फ़ॉर्मूला बीएसपी को नुक़सान पहुँचा रहा है और वह लगातार अपने जनाधार गँवा रही है।
पुरानी अदावत भुला कर मैनपुरी में बसपा सुप्रीमो मुलायम सिंह यादव के लिए रैली करेंगी तो मुज़फ़्फ़रनगर में अखिलेश यादव राष्ट्रीय लोकदल मुखिया अजित सिंह के लिए वोट माँगेंगे।