प्रियंका गाँधी के राजनीति में आ जाने के बाद एक बार फिर राजनीति में वंशवाद, परिवारवाद, भाई-भतीजावाद को लेकर बहस छिड़ गई है। दक्षिण भारत की राजनीति में भी परिवारवाद ही हावी है। हालाँकि केरल में स्थिति अलग है।
आंध्रप्रदेश और तेलंगाना में हर राजनेता अपने प्रतिद्वंद्वी को प्रधानमंत्री मोदी से जोड़कर राजनीतिक फ़ायदा उठाना चाहता है। इनको मोदी के नाम से क्यों वोट कटने का डर है?
बिना बीजेपी और बिना कांग्रेस के एक राजनीतिक मोर्चा बनाने की कोशिश में जुटे केसीआर को जगन मोहन रेड्डी के रूप में नया साथी मिल गया है। तो क्या अब फ़ेडरल फ़्रंट का रास्ता आसान हो गया है?
सपा और बसपा से मिले झटके से कांग्रेस अभी उबर भी नहीं पाई है कि दक्षिण में उसके सहयोगी दलों ने नई परेशानियाँ पेश करनी शरू कर दी हैं। कर्नाटक में जेडीएस ने एक-तिहाई सीटों की माँग की है।
बीजेपी विधायक राजा सिंह ने एलान किया है कि वह नयी विधानसभा में प्रोटेम स्पीकर बनाये गए मुमताज़ अहमद ख़ान के सामने शपथ नहीं लेंगे। इससे पहले भी वह विवादित बयान देते रहे हैं। इससे बीजेपी भी असहज रही है। तो पार्टी कार्रवाई क्यों नहीं कर पा रही है?
तेलंगाना में केसीआर की जीत में 'रैतु बंधु' यानी ‘किसान मित्र’ योजना की बड़ी भूमिका रही। अब मोदी सरकार भी किसानों की नाराज़गी दूर करने के लिए ऐसी ही योजना ला सकती है।
मध्य प्रदेश, राजस्थान, छत्तीसगढ़, तेलंगाना और मिज़ोरम के नतीजों के लिए मतगणना 8 बजे से शुरू होगी। इन राज्यों के नतीजों को लोकसभा चुनाव 2019 के लिए बेहद अहम माना जा रहा है।
राजस्थान में भाजपा और कांग्रेस के बीच काफी कड़ा मुकाबला है। तेलंगाना में कांग्रेस-तेलुगू देशम पार्टी का गठबंधन टीआरएस को टक्कर दे सकता है। चुनाव नतीजे 11 दिसंबर को आएंगे।
तेलंगाना में बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह ने आरोप लगाया कि कांग्रेस ने चर्च और मसिजिदों को मुफ़्त बिजली देने का वादा किया और मंदिरों को उससे अलग रखा। क्या सच में ऐसा है?
अकुला तेलंगाना में कोरुतला सीट से प्रत्याशी हैं। चप्पल के साथ वह इस्तीफ़े का पत्र भी दे रहे हैं, जिसमें लिखा है कि काम नहीं कर पाए तो जनता उन्हें हटा सकती है।