यस बैंक के खाताधारकें में हड़कंप मचा हुआ है। बैंक को हुआ क्या है और आपको करना क्या चाहिए? बता रहे हैं सीएनबीसी आवाज़ के पूर्व संपादक और आर्थिक पत्रकार आलोक जोशी।
भारत सरकार के सॉवरेन गोल्ड बांड की दसवीं सीरीज़ बंद होने वाली है। क्या आपको इसमें पैसा लगाना चाहिए? क्या यह सोना ख़रीदने के लिए सही समय है? सीएनबीसी आवाज़ के पूर्व संपादक और आर्थिक विश्लेषक आलोक जोशी ‘माइंड योर बिजनेस’ कार्यक्रम में बता रहे हैं कि बाज़ार से सोना ख़रीदने, शेयर बाज़ार में ईटीएफ़ की यूनिट ख़रीदने या सॉवरेन गोल्ड फ़ंड में से क्या और कैसे चुनें!
कोरोना वायरस का असर फैलता जा रहा है। और उससे भी ज़्यादा बढ़ रहा है इस बीमारी का ख़ौफ़। ऐसे में समझना ज़रूरी है कि आप इस बीमारी से बचने के लिए क्या कर सकते हैं। वरिष्ठ पत्रकार आलोक जोशी बता रहे हैं कि कोरोना वायरस कैसे फैलता है और इससे बचने के लिए क्या करें और क्या न करें?
देश की दूसरी सबसे बड़ी क्रेडिट कार्ड कंपनी एसबीआई कार्ड्स का आइपीओ बुधवार तक खुला है। 10 रुपए का शेयर 750 से 755 रुपए के भाव पर मिल रहा है। उसमें भी लंबी लाइन लगने के आसार हैं और लॉटरी से ही तय होगा कि किसे कितने शेयर मिलेंगे। क्या है इस कंपनी का भविष्य और क्या आपको एसबीआई कार्ड्स के आइपीओ में अर्जी लगानी चाहिए? क्या सलाह है बाज़ार के जानकारों की। बता रहे हैं सीएनबीसी आवाज़ के संपादक रहे आलोक जोशी। सत्य हिंदी की खास सीरीज़ Mind Your Business की चौथी कड़ी में।
कोरोना वायरस की वजह से घबराया शेयर बाज़ार आपको मौक़ा दे रहा है कि आप सस्ते दाम में अच्छे शेयर ख़रीद सकते हैं। शेयर में और एसबीआई के आईपीओ में पैसे लगाने की सलाह दी गई है। लेकिन यह करने के लिये ज़रूरी है कि आपके पास एक डीमैट अकाउंट हो। लेकिन डीमैट अकाउंट कैसे खोलें, क्यों खोलें, इसका क्या फ़ायदा है। सुनिये, ‘माइंड योर बिजनेस’ कार्यक्रम में आर्थिक मामलों के विशेषज्ञ आलोक जोशी से।
नौकरी करने के दौरान आपको कुछ बचत करना बेहद ज़रूरी है। कमाई कम हो या ज़्यादा लेकिन आपके पास इसका हिसाब होना चाहिये कि कितना पैसा आप कमा रहे हैं और कितना ख़र्च कर रहे हैं। मतलब यह कि आपको पाई-पाई का हिसाब रखना बेहद ज़रूरी है। लेकिन क्यों सुनिये, ‘माइंड योर बिजनेस’ कार्यक्रम में सत्य हिन्दी पर क्या कहा सीएनबीसी आवाज़ के पूर्व संपादक और आर्थिक मामलों के विशेषज्ञ आलोक जोशी ने।
लोगों की मौत का कारण बना कोरोना वायरस अब शेयर बाज़ार में घुस गया है! दुनिया भर में इस वायरस का असर है और अब इसके डर से शेयर बाज़ार धड़ाम हुए हैं। निफ़्टी और सेंसेक्स भी औंधे मुँह गिरे हैं। सेंसेक्स में तो 1400 से ज़्यादा की गिरावट आई है। क्या होगा इसका असर, देखिए 'Mind Your Business' में सीएनबीसी के पूर्व संपादक आलोक जोशी की रिपोर्ट।
सत्य हिन्दी पर जल्द आ रहा है ‘माइंड योर बिजनेस’ कार्यक्रम। इस कार्यक्रम में सीएनबीसी आवाज़ के पूर्व संपादक और आर्थिक मामलों के विशेषज्ञ आलोक जोशी आपको बताएंगे कि आप कैसे अपने पैसे, अपने कारोबार, अपनी आमदनी का हिसाब-किताब रखें।
ट्रंप को अमेरिकी कंपनियों के लिये भारत में पैसा लगाने और भारत के बाज़ार में सामान बेचने की खुली छूट चाहिए। यही भारत और अमेरिका के बीच व्यापार समझौते की सबसे बड़ी बाधा है। सुनिए, क्या बोले आर्थिक मामलों के जानकार आलोक जोशी।
डोनल्ड ट्रंप मोटेरा स्टेडियम में ज़ोरदार स्वागत से खुश तो बहुत हुए, भारत की तारीफ़ में उन्होंने काफ़ी कुछ कहा भी लेकिन उन्होंने और प्रधानमंत्री मोदी ने जो कुछ कहा उससे क्या संकेत मिलते हैं? सुनिए, सीएनबीसी आवाज़ के पूर्व संपादक और वरिष्ठ आर्थिक विश्लेषक आलोक जोशी की टिप्पणी।
सुस्त आर्थिक रफ़्तार और लड़खड़ाती अर्थव्यवस्था के मद्देनज़र वित्त मंत्री से साहसिक कदम और कठोर फ़ैसलों की उम्मीद की जाती थी। पर निर्मला सीतारमण ने जो बजट पेश किया है, उससे किसी का भला नहीं होगा।
शुक्रवार को बजट सत्र शुरू हो गया है और कल यानी शनिवार को वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण बजट पेश करेंगी। लेकिन क्या यह बजट आम लोगों की उम्मीदों पर खरा उतरा पाएगा? हर मोर्चे पर विफल साबित हो रही बीजेपी सरकार के सामने कई चुनौतियाँ हैं, इससे कैसे पार पाएगी? देखिए वरिष्ठ आर्थिक पत्रकार आलोक जोशी का विश्लेषण।
और सबको उम्मीद थी कि बजट आएगा और कमाल शुरू हो जाएगा। बजट आया लेकिन वैसा नहीं आया जैसी उम्मीद थी, तो जो अरमान लगाए बैठे थे उनके दिल टूट गए। अब क्या हालत सुधरेगी?
रतन टाटा का दाँव उलटा पड़ गया है। नेशनल कंपनी लॉ अपीलेट ट्राइब्यूनल या एनसीएलएटी (एनक्लैट) ने साइरस मिस्त्री को दोबारा टाटा संस का चेयरमैन बनाने का फ़ैसला सुना दिया है।
एक तरफ़ तो प्रधानमंत्री मोदी की लोकप्रियता का ग्राफ़ लगातार ऊपर की तरफ़ ही चल रहा है। लेकिन दूसरी तरफ़ उनकी सरकार के लिए एक के बाद एक चुनौतियाँ खड़ी होती जा रही हैं।
सुप्रीम कोर्ट के पाँच जजों ने अपनी भूमिका से आगे बढ़कर वह ज़िम्मेदारी भी अपने कंधों पर ले ली है जिसे पूरा करने में इस देश का राजनीतिक नेतृत्व लगातार नाकाम हुआ है।
सस्पेंस ख़त्म हो गया है। आख़िरकार प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बैंकॉक में एलान कर दिया कि भारत आरसीईपी के समझौते पर दस्तख़त नहीं करेगा। यानी दुनिया के सबसे बड़े आर्थिक सहयोग समूह में भारत शामिल नहीं होगा।