कोई भी बीमारी लोगों की जाति, धर्म, रंग या नस्ल नहीं जानती, मगर वह कमज़ोरों पर सबसे ज़्यादा वार करती है। अमेरिका में इसीलिए काले लोग सबसे अधिक कोरोना वायरस से संक्रमित भी हो रहे हैं और मर भी रहे हैं। इसलिए नहीं कि उनका रंग काला है बल्कि इसके सामाजिक-आर्थिक कारण हैं। भारत में अगर कोरोना ज़्यादा फैला तो यही ट्रैंड देखने को मिलेगा।
जर्मनी ने कोरोना को कड़ी टक्कर दे रखी है। भारत से देखने पर लगता है कि अमेरिका, ब्रिटेन, स्पेन और इटली की तरह जर्मनी भी उन देशों में शामिल है जहाँ कोरोना ने भारी तबाही मचाई है। लेकिन जर्मनी में बसे हुए बालेंदु स्वामी से आलोक जोशी ने बात की तो उन्होंने बताया कि जर्मनी कैसे इस संकट से मुक़ाबला कर रहा है और भारत इससे क्या सीख सकता है!
क्या मोदी सरकार कोरोना से ठीक लड पा रही है? क्या ट्रंप ने अमेरिका को गहरे संकट मे झोंक दिया है? कैसी है ब्रिटेन के प्रधानमंत्री बोरिस जॉनसन की तबियत? और क्यों लोकतांत्रिक देश कोरोना से लड़ने में नाकाम हैं! तीन देश और चार शहरों से एक साथ देखें कोरोना पर चर्चा!
कोरोना का डर, लॉकडाउन की दिक़्क़त और अब भविष्य की आशंका। कितनी बड़ी है यह समस्या, किसपर कितना असर पड़ेगा? और इसके आगे का रास्ता क्या हो? आलोक जोशी ने बात की दिग्गज आर्थिक पत्रकार और बिज़नेस स्टैंडर्ड के संपादकीय निदेशक ए के भट्टाचार्य से।
लॉकडाउन यानी घरबंदी के दो हफ़्ते बीत चुके हैं और एक हफ़्ता बाक़ी है। लेकिन सवाल उठने लगे हैं कि क्या 14 अप्रैल के बाद यानी तय समय पर सरकार को यह लॉकडाउन ख़त्म कर देना चाहिए या इसे और बढ़ाना चाहिए। आलोक अड्डा में आज की चर्चा वरिष्ठ पत्रकार रामदत्त त्रिपाठी और राजेंद्र तिवारी के साथ।
सेबी ने म्यूचुअल फंड में पैसा लगाने या निकालने का कट ऑफ़ टाइम बदल दिया है। अब एक बजे तक आए रिडेंप्शन ऑर्डरों पर ही उस दिन के भाव पर पैसा निकल पाएगा। अभी तक यह समय इक्विटी फंड्स के लिए तीन बजे तक था। क्या फ़र्क़ पड़ेगा और आपको क्या करना चाहिए? सीएनबीसी आवाज़ के पूर्व संपादक आलोक जोशी ने बात की ऑप्टिमा मनी मैनेजर्स के फ़ाउंडर सीईओ पंकज मठपाल से।
कोरोना के क़हर से खड़बड़ा कर गिरे बाज़ार में अब तरह तरह के सवाल पूछे जा रहे हैं। यह मंदी कब ख़त्म होगी? इसका बुरा असर किस किस पर और कितना होगा? क्या पैसा लगा देना चाहिए? लगाएँ तो कहाँ? बाज़ार के दिग्गज, प्रधानमंत्री की आर्थिक सलाहकार परिषद के सदस्य और कोटक म्यूचुअल फंड के एम डी और सीईओ नीलेश शाह के साथ आलोक जोशी की एक्सक्लूसिव बातचीत।
कोरोना का ख़तरा कितना भयावह है इसका नमूना देखना हो तो ब्रिटेन और अमेरिका का हाल देखिए। भारत सरकार ने वक़्त पर लॉकडाउन कर दिया है लेकिन अब भी बचने की ज़िम्मेदारी हमें ख़ुद ही उठानी होगी। लंदन से बीबीसी हिंदी के पूर्व संपादक शिवकांत शर्मा दुनिया भर का हाल बता रहे हैं और आलोक जोशी के साथ चर्चा में आगाह करते हैं कि इस बीमारी को फैलने से रोकना ही एक मात्र रास्ता है।
देश में लॉक डाउन के बीच प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने एक बार फिर जनता का आह्वान किया है। पाँच तारीख़ को रात नौ बजे नौ मिनट के लिए लाइट बंद और दिया, मोमबत्ती या जैसे चाहें रोशनी दिखाएं। आलोक अड्डा में एक ख़ास चर्चा वरिष्ठ पत्रकार रामदत्त त्रिपाठी के साथ।
घर से निकलना ख़तरनाक है और उससे भी ख़तरनाक है किसी से हाथ मिलाना, गले मिलना और बेवजह बाहर घूमते रहना। मरकज़ निज़ामुद्दीन मामले के बाद एक बार फिर कोरोना विस्फोट का ख़तरा खड़ा हो गया है। सीएनबीसी आवाज़ के पूर्व संपादक आलोक जोशी बता रहे हैं कि कोरोना से बचना क्यों ज़रूरी है और आप इसमें क्या कर सकते हैं।
ईएमआई भरने पर तीन महीने की छूट मिली और लोग खुश हो गये। लेकिन क्या आपने बारीकी से देखा कि यह छूट असल में छूट है ही नहीं। सीएनबीसी आवाज़ के पूर्व संपादक आलोक जोशी बता रहे हैं कि कोई भी भुगतान करने या न करने का फ़ैसला अच्छी तरह सोच-विचारकर और हिसाब जोड़ने के बाद ही करें।
शेयर बाज़ार में भारी गिरावट। क्या यह ख़रीद का मौक़ा है? क्या बॉटम बन गया? क्या अब पैसे लगा दें? बहुत से लोग ऐसे सवाल पूछ रहे हैं। तो बहुत से यह भी पूछ रहे हैं कि शेयर क्या होता है और इसमें पैसा कैसे लगाते हैं? सीएनबीसी आवाज़ के पूर्व संपादक आलोक जोशी बता रहे हैं कि शेयर होता क्या है!
रिज़र्व बैंक ने रेट घटाये। लोन सस्ते हो जाएँगे। लेकिन साथ ही डिपॉजिट पर ब्याज का रेट भी कम हो जाएगा। इसलिए अगर आप बैंक में पैसा रखकर उसके ब्याज से खर्च चलाते हैं तो यह आपके लिए जागने का वक्त है। सीएनबीसी आवाज़ के पूर्व संपादक आलोक जोशी बता रहे हैं कि बैंक जाइए या ऑनलाइन बैंकिंग का इस्तेमाल करें, लेकिन जल्दी से जल्दी अपनी एफ़डी को जो सबसे अच्छा रेट मिले उस पर लॉक कर लें।
कोरोना से मुक़ाबले की लड़ाई में अब रिज़र्व बैंक भी उतर आया है। सरकार ने ग़रीबों के लिए एलान किए तो अब रिज़र्व बैंक के फ़ैसले से मध्य वर्ग के एक हिस्से और व्यापारी वर्ग को कुछ राहत मिलेगी।
शेयर बाज़ार अभी कितना और गिरेगा? अब पैसा नहीं लगाया तो कब लगाएँगे? कहीं बाज़ार में वापस तेज़ी शुरू हो गई तो? ये सारे सवाल आपको भी परेशान कर रहे होंगे। लेकिन यह सावधान रहने का वक्त है। जोश में होश न खो बैठें। ख़ास तौर पर ऐसे लोगों से सावधान रहें जो आपको दोनों हाथों से शेयर ख़रीदने की सलाह दे रहे हैं। क्यों? बता रहे हैं सीएनबीसी आवाज़ के पूर्व संपादक और आर्थिक मामलों के पत्रकार आलोक जोशी।
दुनिया मंदी की चपेट में आ चुकी है या आ रही है, इसमें अब कोई शक नहीं रह गया है। दुनिया के दो बड़े इन्वेस्टमेंट बैंकर्स मॉर्गन स्टैनली और गोल्डमैन सैक्स ने भी अब मान लिया है कि कोरोना वायरस के डर से दुनिया भर में कामकाज पर जो असर पड़ रहा है, वह दुनिया को मंदी की ओर धकेल रहा है। सुनिए, क्या कहा सीएनबीसी आवाज़ के पूर्व संपादक आलोक जोशी ने।
दुनिया के दो बड़े इन्वेस्टमेंट बैंकर्स मॉर्गन स्टैनली और गोल्डमैन सैक्स ने कहा है कि कोरोना वायरस के डर से कामकाज पर जो असर पड़ रहा है, वह दुनिया को मंदी की ओर धकेल रहा है।
बुधवार शाम छह बजे के बाद से यस बैंक के ग्राहक बैंक में जमा अपने पैसे निकाल पाएंगे। 5 मार्च को सरकार ने यस बैंक से पैसे निकालने पर रोक लगाई थी। ग्राहकों के लिए ख़ुशख़बरी है कि दो हफ़्ते में ही उन्हें इस पाबंदी से छुटकारा मिल गया। लेकिन सवाल यह है कि अब बैंक के ग्राहकों को करना क्या चाहिए? बता रहे हैं सीएनबीसी आवाज़ के पूर्व संपादक आलोक जोशी।
शेयर बाज़ार की उठापटक ने सबको चक्कर में डाल रखा है। ख़ासकर शुक्रवार को भारत के बाज़ारों ने जो जोश दिखाया, उसके बाद सोमवार की तेज़ गिरावट एक बड़े सदमे जैसी थी। अब सबके मन में एक ही सवाल है? कब तक गिरेगा बाज़ार और कब थमेगा यह खूनखराबा? बता रहे हैं आलोक जोशी।
यस बैंक को वापस पटरी पर लाने की ज़िम्मेदारी स्टेट बैंक को सौंपी गई है। स्टेट बैंक दस रुपए के भाव पर बैंक में पैंतालीस परसेंट हिस्सेदारी भी ख़रीद रहा है। और अब उसने अपने सात साथी भी चुन लिए हैं। लेकिन इस चक्कर में कहीं छोटे शेयरहोल्डर के साथ अन्याय तो नहीं हो रहा? वरिष्ठ पत्रकार और सीएनबीसी आवाज़ के पूर्व संपादक आलोक जोशी की टिप्पणी।
शेयर बाज़ार में जबरदस्त संकट आया है और आम निवेशक इससे घबरा गये हैं। लेकिन ऐसे में आम निवेशकों को बिल्कुल नहीं घबराना नहीं चाहिए। सुनिए, ‘माइंड योर बिजनेस’ कार्यक्रम में क्या कहा सीएनबीसी आवाज़ के पूर्व संपादक आलोक जोशी ने।
यस बैंक के खाताधारकों की पाई-पाई सुरक्षित है। वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण के इस एलान के बाद बहुत से लोगों की साँस में साँस आई। लेकिन इतना कह देने से बात ख़त्म नहीं हो जाती। बहुत-सी परेशानियों से जूझ रहे हैं लोग और अनेक सवालों के जवाब मिलने अभी बाक़ी हैं। और ब्योरा दे रहे हैं सीएनबीसी आवाज़ के पूर्व संपादक और आर्थिक पत्रकार आलोक जोशी।
2017 से रिज़र्व बैंक लगातार यस बैंक पर कड़ी नज़र रख रहा था। यस बैंक ने बहुत भारी मुश्किल से गुज़र रही यानी क़र्ज़ के बोझ में दबी कंपनियों को क़र्ज़ दे रखे थे। वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण का यह दावा है।
यस बैंक बिकेगा यह तो तय हो गया है। वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण ने इसका एलान कर दिया है और रिज़र्व बैंक ने यस बैंक पुनर्जीवन योजना का दस्तावेज़ भी जारी कर दिया है। स्टेट बैंक ने यस बैंक में हिस्सेदारी ख़रीदने की इच्छा भी जताई है। लेकिन क्या स्टेट बैंक ही यह सौदा करेगा या कोई और है असली ख़रीदार? सीएनबीसी आवाज़ के पूर्व संपादक और आर्थिक विश्लेषक आलोक जोशी की टिप्पणी।