कन्हैया कुमार और जिग्नेश मेवाणी के कांग्रेस के साथ जुड़ने के साथ यह सवाल अब ज़्यादा जोरशोर से उठने लगा है कि आख़िर वामपंथी क्यों कांग्रेस में शामिल हो रहे हैं? इसका क्या असर पड़ेगा? पत्रकार रहे और हाल ही में कांग्रेस से जुड़े पंकज श्रीवास्तव की टिप्पणी...
बजरंग दल ने अहमदाबाद की एक दुकान में रखी कामसूत्र को धर्मविरोधी क्यों बताया? क्या देश में दकियानूसी सोच हावी होती जा रही है? 'भारत, अफ़ग़ानिस्तान से बेहतर है' जैसी तुलना की नौबत क्यों आई?
पत्रकार अरुण पांडेय नहीं रहे। वरिष्ठ पत्रकार पंकज श्रीवास्तव लिखते हैं- सुबह से फ़ेसबुक पर शोक की एक नदी बह रही है जिसके हर क़तरे पर एक नाम है- अरुण पांडेय।
आज यानी 28 सितम्बर को शहीद भगत सिंह का जन्मदिन है। भगत सिंह किस तरह के देश का सपना देखते थे? वह आरएसएस की विचारधारा को कैसे मानते थे? भगत सिंह भारत में मज़दूरों-किसानों के राज की खुली वक़ालत करते थे। इस पर संघ की क्या थी राय?
महाराष्ट्र में कांग्रेस और राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी ने शिवसेना के साथ मिलकर सरकार बनाई तो शिवसेना के आदर्श शिवाजी को मुसलिम विरोधी क्यों बता रही है बीजेपी?
'सर्वविद्या की राजधानी' कहलाने वाली बनारस हिंदू यूनिवर्सिटी बीएचयू के संस्कृत विद्या धर्म विज्ञान संकाय में असिस्टेंट प्रोफ़ेसर पद पर हुई फ़िरोज़ ख़ान की नियुक्ति अब राष्ट्रव्यापी बहस का मुद्दा है।
संघ से चलकर बीजेपी में आने वाले और पार्टी में लंबा सफर तय करने वाले राजनाथ सिंह ने कहा कि सावरकर भारतीय इतिहास के महानायक थे, हैं और रहेंगे। क्या सचमुच?
कुछ राज्यों में होने जा रहे विधानसभा चुनाव से पहले आरएसएस और बीजेपी को अचानक दारा शिकोह की याद आई है। ‘काश दारा शिकोह सम्राट बनते’ का रोना क्यों रोया जा रहा है?
आज वही तोलस्तोय कठघरे में हैं जिन्हें महात्मा गाँधी अपना 'आध्यात्मिक गुरु' मानते थे। बाम्बे हाईकोर्ट के जस्टिस सारंग कोतवाल ने वेरनॉन गोंजाल्विस से सवाल किया कि उन्होंने 'दूसरे देश के युद्ध की किताब' अपने घर में क्यों रखी है।
करो या मरो! 1942 की अगस्त क्रांति का यही नारा था जिसने दूर दिखाई पड़ रही आज़ादी की भोर को अगले पाँच साल में हक़ीक़त बना दिया। इस क्रांति के साथ एक सपना भी जुड़ा था जिसे 79 साल बाद आज ज़मींदोज़ होते देखा जा रहा है।