बिहार के दलित आंदोलन में हीरा डोम की भूमिका बेहद महत्वपूर्ण एवं सराहनीय है। इस सन्दर्भ में चर्चित कथाकार मधुकर सिंह की कहानी ‘दुश्मन’ का विशेष स्थान है।
हमारे लेखकों, साहित्यकारों ने दलित समाज के कष्टों, अपमान और संघर्षों को अपनी लेखनी के माध्यम से पूरे विश्व के सामने रखा। दलति साहित्य के बारे में बता रहे हैं शैलेंद्र चौहान।
भारत में सांप्रदायिक दंगे क्यों होते हैं, इसके लिए कौन ज़िम्मेदार हैं और इसका सबसे ज़्यादा नुक़सान कौन भुगतता है? यदि सांप्रदायिक दंगे न हों तो देश में कैसे हालात होंगे, पढ़िए शहीद भगत सिंह ने क्या लिखा था।
सोशल मीडिया पर दो तरह के लोग सक्रिय हैं। एक वे जो लिखते हैं और दूसरे जो बकते हैं। लिखने वाले लोग अच्छा भी लिखते हैं और बुरा भी। लेकिन बकने वाले लोग बस बकते हैं।
अफ़ग़ानिस्तान में अमेरिकी सेना की वापसी से तालिबान और अलक़ायदा को नई ज़िंदगी मिल गई है। अब यहाँ हिंसा की नई इबारत लिखी जा रही हैं। ऐसा लग रहा है कि 11 सितंबर तक सेना की पूरी वापसी हो जाने तक हालात बेकाबू हो जाएंगे।
हाल में फ़लस्तीन-इज़रायल संघर्ष की शुरुआत उस वक्त हुई जब येरूशलम में अल-अक्सा मसजिद के पास इज़रायल के यहूदी राष्ट्रवादियों ने एक मार्च निकालने का फैसला लिया।