सुप्रीम कोर्ट द्वारा आपराधिक अवमानना के दोषी ठहराये गये जाने-माने वकील और सामाजिक कार्यकर्ता प्रशांत भूषण की सजा पर सुप्रीम कोर्ट ने फ़ैसला सुरक्षित रख लिया है।
सुप्रीम कोर्ट की अवमानना को लेकर दोषी ठहराये गये वकील और सामाजिक कार्यकर्ता प्रशांत भूषण ने सुप्रीम कोर्ट से बिना शर्त माफ़ी माँगने से इनकार कर दिया है।
यह अतिशयोक्ति नहीं होगी कि क़रीब 100 साल पहले 1922 में महात्मा गाँधी को लिखने के कारण जो आरोप और दोषारोपण झेलने पड़े, वो ही आरोप और दोषारोपण आज वकील प्रशांत भूषण को भी झेलने पड़ रहे हैं।
अदालत की आपराधिक अवमानना के लिए दोषी ठहराए गये जाने-माने वकील प्रशांत भूषण के मामले में सजा को लेकर शीर्ष अदालत ने कहा है कि वह तुरंत कोई फ़ैसला नहीं देगी।
अभिनेता सुशांत सिंह राजपूत की रहस्यमयी मौत की गुत्थी को सुलझाने के लिए सीबीआई जाँच को सुप्रीम कोर्ट ने हरी झंडी दे दी है। पटना में दर्ज एफ़आईआर को मुम्बई में स्थानान्तरित करने की रिया की माँग नहीं मानी।
साल 2009 में प्रशान्त भूषण ने सुप्रीम कोर्ट के 16 में से आधे मुख्य न्यायाधीशों पर भ्रष्ट होने के आरोप लगाये थे। इस अवमानना के मामले में प्रशान्त भूषण ने सुप्रीम कोर्ट में अपना जवाब दाखिल किया है।
सुप्रीम कोर्ट और भारत के मुख्य न्यायाधीश व पिछले 3 पूर्व मुख्य न्यायाधीशों से जुड़े ट्वीट को लेकर प्रशांत भूषण को अवमानना का दोषी ठहराया गया है। इस पर क्या कहते हैं सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ वकील।
सुप्रीम कोर्ट ने वकील प्रशान्त भूषण का अवमानना का दोषी पाया है और 20 अगस्त के लिए सजा पर फ़ैसला सुनाने की तारीख तय की है। लेकिन अदालत के फ़ैसले का आधार क्या है?