अधिकतर बड़े अंतरराष्ट्रीय मीडिया समूहों ने अयोध्या विवाद पर आए फ़ैसले को प्रधानमंत्री मोदी और उनके दल भारतीय जनता पार्टी के ‘हिंदू राष्ट्रवादी एजेंडे’ की जीत बताया।
अयोध्या विवाद पर सुप्रीम कोर्ट ने फ़ैसला सुना दिया है। 2.77 एकड़ विवादित ज़मीन रामलला विराजमान को राम मंदिर बनाने के लिए दे दी गई है। मुसलिम पक्ष अब क्या चाहता है?
सुप्रीम कोर्ट ने बाबरी मसजिद-राम जन्मभूमि मंदिर विवाद पर जो फ़ैसला दिया, वह उससे अलग कोई दूसरा फ़ैसला नहीं दे सकता था। आख़िर क्या मजबूरियाँ थीं कोर्ट की?
‘मंदिर वहीँ बनाएँगे’, पिछले तीस साल से यह नारा लगाते हुए जिनके गले छिल गए हैं, उनकी पीठ थपथपाते हुए कहा गया है, ‘इतना हलकान क्यों होते हो? मंदिर वहीं बनेगा।’
अयोध्या विवाद पर सुप्रीम कोर्ट के फ़ैसले पर एआईएमआईएम प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी ने तीखी प्रतिक्रिया व्यक्त की है। उन्होंने साफ़-साफ़ कहा कि मैं अयोध्या पर सुप्रीम कोर्ट के फ़ैसले से संतुष्ट नहीं हूँ।
अयोध्या विवाद पर आए सुप्रीम कोर्ट के फ़ैसले का लोगों ने सम्मान किया है। अधिकतर लोगों ने इस फ़ैसले से संतोष जताया है, लेकिन कई ऐसे भी लोग हैं जिन्होंने फ़ैसले पर असंतोष ज़ाहिर किया है।
सुप्रीम कोर्ट ने बाबरी मसजिद-राम मंदिर विवाद पर फ़ैसला सुनाते हुए निर्मोही अखाड़ा के दावे को खारिज कर दिया है। अदालत ने कहा है कि निर्मोही अखाड़ा सेवईत नहीं है।
कांग्रेस प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला ने कहा कि अयोध्या पर आये सुप्रीम कोर्ट के फ़ैसले को लेकर कांग्रेस कार्यसमिति की बैठक हुई और एक प्रस्ताव पारित किया गया।
वर्षों से चले आ रहे अयोध्या विवाद पर सुप्रीम कोर्ट ने नवंबर 2019 में फ़ैसला दिया। इस फ़ैसले की मुख्य बात यह रही कि अदालत ने विवादित स्थल रामलला को और मसजिद के लिए मुसलिम पक्ष को वैकल्पिक ज़मीन देने का आदेश दिया।