जम्मू-कश्मीर के स्थानीय लोग बड़ी तादाद में आतंकवाद से जुड़ रहे हैं। यह नया और बेहद ख़तरनाक ट्रेंड है। क्या है पूरा मामला, जानिए सत्य हिन्दी के प्रमोद मल्लिक से।
प्रधानमंत्री मोदी अपने चुनावी भाषणों में भी आचार संहिता के उल्लंघन जैसी बातें कहते आए हैं लेकिन चुनाव आयोग ने एक बार भी उनके ख़िलाफ़ कोई ऐक्शन नहीं लिया है! आख़िर मोदी बच क्यों निकलते हैं?
पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान ख़ान ने अंग्रेज़ी के सार्वजनिक इस्तेमाल पर वैसा ही प्रहार किया है, जैसा कभी गाँधीजी और लोहियाजी किया करते थे। यदि लोहिया जी भारत के प्रधानमंत्री बनते तो अंग्रेज़ी पर प्रतिबंध लगा देते।
लोकसभा चुनाव से पहले कई नामी-गिरामी उम्मीदवार रातों-रात पार्टियाँ बदल रहे हैं, उनकी चर्चा सुर्खियों में है लेकिन बीजेपी ने अपने जिन वरिष्ठ नेताओं को दरकिनार किया है, उनकी चर्चा सबसे ज़्यादा है।
पंडित जवाहरलाल नेहरू इस समय बहस के केंद्र में हैं। कुछ लोग उन्हें खलनायक साबित करने पर आमादा हैं तो कुछ उनका महिमा गान गा रहे हैं। इसे समझना है तो पाक लेखक सआदत हसन मंटो के लिखे उस ख़त को पढ़िये कि उन्होंने क्या कहा था?
चीन अज़हर मसूद को लंबे समय से बचाता आया है। भारत उसे ऐसा करने में नाकाम रहा है। लेकिन भारत इसकी वजह नहीं समझ रहा है, लिहाज़ा, उसे रोकने की कोशिश में नाकाम रहा है।
पिछले हफ़्ते की भारत-पाक मुठभेड़ से हमारे पत्रकार बंधुओं को बड़ी नसीहत लेने की ज़रूरत है। ख़ास तौर से हमारे वायु-सेना प्रमुख एयर मार्शल बी.एस. धनोआ के बयान के बाद!
संघ और विहिप चाहते थे कि केंद्र की मोदी सरकार अयोध्या में राम मंदिर बनाने के लिए अध्यादेश जारी करे। लेकिन अब इन संगठनों ने अगले 4-5 माह के लिए चुप्पी साध ली है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बीजेपी राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक के बाद कार्यकर्ताओं को संबोधित करते हुए कहा कि विपक्ष मजबूर सरकार ही दे सकता है। सवाल है कि क्या उनकी सरकार मजबूत है?
लाल बहादुर शास्त्री की आज पुण्य तिथि है। कुलदीप नैयर का कहना है कि नेहरू ने एक बार अपने मंत्री से शास्त्री के बारे में कहा था, "देखने में छोटा-सा लगने वाला वह व्यक्ति इतना धूर्त है, जो कभी भी आपकी पीठ में छुरा भोंक सकता है।"
सवर्णों के लिए आर्थिक आरक्षण के विधेयक को जिस बहुमत से पारित किया गया है, उससे ज़्यादा शर्मनाक बात क्या हो सकती है। इसने संसद की इज्जत को पैंदे में बिठा दिया है।
यदि आप अयोध्या जाएँगे तो आपको फुटपाथों पर इतिहास की ऐसी किताबें बिकती मिल जाएँगी कि आपका दिमाग़ चकरा जाएगा। ऐसा इसलिए कि आज़ादी के बाद से अयोध्या का इतिहास झूठ और प्रपंच से रचा गया इतिहास है।