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कांग्रेस को मिला गोवा फ़ॉरवर्ड पार्टी का साथ, मिलकर लड़ेंगे चुनाव

गोवा में होने जा रहे विधानसभा चुनाव से पहले कांग्रेस को राज्य के एक अहम क्षेत्रीय दल गोवा फ़ॉरवर्ड पार्टी (जीएफ़पी) का साथ मिल गया है। जीएफ़पी के अध्यक्ष विजय सरदेसाई ने मंगलवार को कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी से मुलाक़ात की और मिलकर चुनाव लड़ने की हुंकार भरी। 

अहम बात यह है कि जीएफ़पी इससे पहले बीजेपी के साथ थी लेकिन इस बार उसने कांग्रेस के साथ आना तय किया है। 40 सीटों वाली गोवा की विधानसभा में जीएफ़पी के पास तीन विधायक हैं। जीएफ़पी ने इस साल अप्रैल में एनडीए से नाता तोड़ लिया था। 

सरदेसाई ने कहा है कि राज्य की बीजेपी सरकार पूरी तरह भ्रष्ट और तानाशाह है। कुछ दिन पहले जीएफ़पी को तगड़ा झटका तब लगा था जब इसके कार्यकारी अध्यक्ष किरन कांडोलकर टीएमसी में शामिल हो गए थे। 

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गोवा विधानसभा में बीजेपी के पास 27 विधायक हैं और एक निर्दलीय विधायक भी उसके साथ है। जबकि कांग्रेस के पास सिर्फ़ चार विधायक हैं। महाराष्ट्रवादी गोमांतक पार्टी (एमजीपी) और एनसीपी के पास भी एक-एक विधायक है। विधानसभा में दो निर्दलीय विधायक भी हैं। 

टूट गई थी कांग्रेस  

2017 के चुनाव में बीजेपी को 13 सीटों पर जीत मिली थी जबकि कांग्रेस 17 सीटें जीतकर सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी थी। लेकिन बीजेपी ने जोड़-तोड़ कर सरकार बना ली थी। उसने कांग्रेस के विधायकों में सेंध लगाई थी और 15 में से 10 विधायक बीजेपी में शामिल हो गए थे थे। बीजेपी ने महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस को गोवा का प्रभारी बनाया है।

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आप-टीएमसी भी मैदान में 

आम आदमी पार्टी और टीएमसी दोनों इस बार गोवा के चुनाव में उतरी हैं। पूर्व मुख्यमंत्री लुईजिन्हो फलेरो के टीएमसी में जाने के कारण कांग्रेस को नुक़सान हो सकता है। टीएमसी ने नामी टेनिस खिलाड़ी लिएंडर पेस को भी पार्टी में शामिल किया है। ममता बनर्जी का इस छोटे राज्य पर विशेष ध्यान देना इस बात को बताता है कि वह यहां सरकार बनाना चाहती हैं। चुनावी रणनीतिकार प्रशांत किशोर की टीम भी यहां ममता बनर्जी के लिए काम कर रही है। 

इसके अलावा अरविंद केजरीवाल भी लगातार गोवा का दौरा कर रहे हैं। उन्होंने कहा है कि उनकी पार्टी गोवा में पूरी ताक़त के साथ चुनाव लड़ रही है। मार्च, 2017 में हुए गोवा के पिछले विधानसभा चुनाव में भी आम आदमी पार्टी जोर-शोर से उतरी थी लेकिन वह एक भी सीट नहीं जीत सकी थी। इस बार पार्टी को बेहतर प्रदर्शन की उम्मीद है। 
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निश्चित रूप से टीएमसी और आम आदमी पार्टी के चुनाव मैदान में आने से बीजेपी को मदद मिलेगी। लेकिन कोरोना काल के दौरान हुई बदइंतजामियां, बढ़ती महंगाई बीजेपी के लिए मुद्दा बनी हुई है। हालिया उपचुनाव के नतीजों में भी उसे इसका पता चल गया है। 

गोवा में हर सीट पर 20 से 25 हज़ार वोटर हैं। ऐसे में यहां जीत के लिए सभी दलों को पूरा जोर लगाना पड़ेगा क्योंकि आमतौर पर हार-जीत का फासला कुछ ही वोटों के अंतर से होता है। राज्य में हिंदू के साथ ही ईसाई मतदाता भी अच्छी संख्या में हैं।

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क़मर वहीद नक़वी

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