वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण का भारतीय अर्थव्यवस्था के बारे में आशावादिता से भरा बयान आमजन को सुकून पहुँचा सकता है। उनका कहना है कि आँकड़े बता रहे हैं कि इसमें सुधार के बहुत लक्षण हैं।
क्या भारतीय अर्थव्यवस्था धीरे-धीरे पटरी पर लौटने लगी है? क्या मांग-खपत निकलने लगी हैं और लोग पहले की तरह न सही, पर थोड़ी-बहुत ख़रीद-फ़रोख़्त करने लगे हैं?
प्याज की आँसू निचोड़ू क़ीमतों से लोगों को राहत मिल भी नहीं पाई है कि आलू के भाव बढ़ने लगे हैं। केंद्र सरकार ने जिस तरह प्याज के निर्यात पर रोक लगाई थी, उसी तरह आलू के आयात का फ़ैसला कर कीमतों को काबू में रखने की कोशिश तो कर रही है, पर सवाल उठता है कि उसे इस तरह के कृत्रिम प्रयास करने ही क्यों पड़ते हैं।
शुक्रवार को सरकार ने आवश्यक वस्तु अधिनियम के आपातकालिक प्रावधानों का इस्तेमाल करते हुए प्याज के भंडारण की सीमा तय कर दी। प्याज की कीमतें जिस तरह से और जिस तेजी से बढ़नी शुरू हुई हैं, उसे देखते हुए सरकार के पास कोई चारा भी नहीं था।
केंद्रीय मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने कहा है कि 30 लाख अराजपत्रित यानी नॉन-गजेटेड कर्मचारियों को बोनस दिया जाएगा, जिस पर सरकार को 3,737 करोड़ रुपए खर्च करने होंगे।
ऐसे समय में जब दुनिया की सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था अमेरिका और यूरोप की मजबूत अर्थव्यवस्थाएं कोरोना महामारी की चपेट से निकलने के लिए जूझ रही हैं, चीन ने 4.9 प्रतिशत की विकास दर दर्ज कर सबको चौंका दिया है।
सवाल यह उठने लगा है कि क्या चीन अमेरिका को पछाड़ कर, उसे पीछे धकेल कर दुनिया की पहले नंबर की अर्थव्यवस्था बन चुका है। यह सवाल इसलिए उठ रहा है कि अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष के आँकड़ों के अध्ययन करने से यह तसवीर उभर कर सामने आती है।
वैश्विक भूख सूचकांक में भारत की स्थिति बांग्लादेश, म्यांमार और पाकिस्तान से भी बदतर है। 107 देशों की सूची में भारत 94 वें स्थान पर है। दूसरी ओर, बांग्लादेश 75 वें, म्यांमार 78 वें और पाकिस्तान 88 वें स्थान पर हैं।
बुधवार को सरकार के साथ 30 किसान संगठनों की बैठक बुलाई गई थी, लेकिन वह नारेबाजी और शोरगुल के बीच ख़त्म हो गई। कृषि मंत्री के मौजूद नहीं रहने से गुस्साए किसानों ने बिल की प्रतियाँ फाड़ कर फेंक दीं।
अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष यानी आईएमएफ़ ने अपने अनुमान में कहा है कि भारत की अर्थव्यवस्था और ज़्यादा सिकुड़ेगी। इसका अनुमान है कि मार्च 2021 में ख़त्म होने वाले इस वित्त वर्ष में जीडीपी 10.3 फ़ीसदी सिकुड़ जाएगी।
बीजेपी और ग़ैर-बीजेपी राज्य जीएसटी के मुद्दे पर अलग-अलग रुख अपना रहे हैं। ग़ैर बीजेपी राज्य केंद्र को चुनौती देने की तैयारी कर रहे हैं, तो केंद्र सरकार अपने पहले के स्टैंड से टस से मस नहीं हो रही है।
बदहाल अर्थव्यवस्था को पटरी पर लाने के लिए सरकार माँग और खपत बढ़ाने की कोशिश कर रही है। दो महत्वपूर्ण फ़ैसले किए गए हैं- लीव ट्रैवल कनसेशन के तहत केंद्रीय कर्मचारियों को नकद वाउचर दिए जाएंगे और त्योहार के पहले नकद एडवांस दिया जाएगा।
रिज़र्व बैंक यानी आरबीआई ने भारत की जीडीपी यानी सकल घरेलू उत्पाद की वृद्धि दर -9.5 फ़ीसदी रहने का अनुमान लगाया है। यानी सीधे तौर पर कहें तो भारत की अर्थव्यवस्था इतनी सिकुड़ेगी।
देश के आर्थिक विमर्श में इन दिनों नई हरी पत्तियों की चर्चा अचानक ही शुरू हो गई है। सितंबर महीने के जो आँकड़ें हैं वे भले ही कोई बड़ी उम्मीद न बंधी रही हो, राहत तो दे ही रहे हैं।
गूगल, एप्पल, फ़ेसबुक और एमेजॉन जैसी बड़ी और अंतरराष्ट्रीय प्रौद्योगिकी कंपनियों का बाज़ार पर एकाधिकार जल्द ही ख़त्म हो सकता है। यह भी हो सकता है कि इन कंपनियों को छोटी-छोटी कंपनियों में बाँट दिया जाए।