सरकारी योजनाओं को कैसे हज़म किया जाता है यह रिपोर्ट वह दर्शाती है। क्यों इस देश में बड़ी बड़ी योजनाओं का फल आम लोगों तक नहीं पहुँचता, यह रिपोर्ट उसे भी दर्शाती है?
पेट्रोल-डीजल के दाम हाल के दिनों में लगातार बढ़ते रहे हैं। दिल्ली में पेट्रोल और डीजल क़रीब 80 रुपये प्रति लीटर हो गये। ऐसा तब है जब कच्चे तेल के दाम कम हुए हैं।
क्या चीनी कंपनियाँ भारत से अपना निवेश निकाल कर दक्षिण पूर्व एशिया के दूसरे देशों में लगा सकती हैं? क्या वे भारत के बाज़ार का विकल्प तलाशने का काम शुरू कर सकती हैं?
लॉकडाउन, प्रवासी मज़दूरों का अपने गृह राज्यों के लिए पलायन और बड़े पैमाने पर लोगों की नौकरी जाने के बीच अर्थव्यवस्था के बहुत ही धीमी गति से ही सही, पर पटरी पर लौटने के संकेत मिल रहे हैं।
छोटे व्यापार के लिए केंद्र सरकार ने जो क़र्ज़ के पैकेज की घोषणा की है उसमें राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ यानी आरएसएस से जुड़े संगठन को ही गड़बड़ियाँ दिखने लगी हैं।